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________________ भी यो मा पर भाग isqn ti། བྷ ཝ | inཔ [jit ti $ དqinrin: पर ना निदेशकोमा गोगना पोनने की निन्ना। घर में नीन गिनीयान मारपनी नारित उनच गीली नमनायनाचविला विनंच वर्षमा वांगुगामासचिलारनीयान्तनः मान्यता कन्या।। - : : PETY, # 1 बाका पर्व दनिगम भाव स नाम का एक देगा। वा अन्नग नाम का एक माना गम भरनामा वमः कान में पत्र थे । एक समय में वही भार्गमेना लफर मिथिला पर जमाये मीर नाना महार पर करने लगे। गमास्टर कामना गोली हाना नगरगंकने में असमर्थ पा। महीनना सवार पगन्न हानी का यह देख कर गना विदेशबान समगा। माना निगे सपने मित्र गमादश. रय पं. पाम उम पदन भेजा। दन की बानगन फर गना दशम्य अपने मित्र गमाविदह सी गहायता लिए जनामहित मिथिला जाने को नया उसी मगर गम मारनगणनाकर उनके सामने उपस्थित हुए मार विनय पूर्वक अर्ज करने लगे कि, प्रय ! गाएती कावस्या है। अतः हम लोगों को ही मिथिला जाने ही पागा दीमिय। पत्रों का विशेष भाग्रह दरय फर गना दशरमने उन्हें मिथिला की और विदा किया। वहा पहन कर राम और लपणा न ऐमा पगमम दिखलाना किम्नच राजा की मना भाग गई। गना विदेश चार मिथिलावासी जनों को शान्ति मिली, वे निरूपद्रव होगए। उनका अद्भुत पराक्रम देख
SR No.010512
Book TitleJain Siddhanta Bol Sangraha Part 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhairodan Sethiya
PublisherJain Parmarthik Sanstha Bikaner
Publication Year1942
Total Pages529
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & agam_related_other_literature
File Size20 MB
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