SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 26
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ (२०) ४१० बोल नं० पृष्ठ बोल नं० ८७९ मरण सतरह प्रकार का ३८२/ भेद ८८० माया के सतरह नाम ३८५ / ८९४ पौषध के अठारह दोप ४१० ८८१ शरीर के सतरह द्वार ३८५ / ८९५ अठारह पापस्थानक ४१२ ८८२ विहायोगति के सतरह ८९६ चोर की प्रसूति अठारह ४१५ भेद ३८९ / ८९७ क्षल्लक निर्गन्थीय अध्य८८३ भाव श्रावक के सतरह यन को अठारह लक्षण ३९२ गाथाएं ४१६ ८८४ संयम के सतरह भेद ३९३ | ८९८ दशकालिक प्रथम ८८५ संयम के सतरह भेद ३९५ चूलिका की अठारह ८८६ चरम शरीरी को प्राप्त गाथाएं ४२० सतरह बातें ३९५ । उन्नीसवाँ बोल संग्रह ४२५ अठारहवाँ बाल संग्रह ३९७ 1 ८९९ कायोत्सर्ग के उन्नोस ८८७ अरिहन्त भगवान् मे दोप ४२५ नहीं पाये जाने वाले । ९०० ज्ञाताधर्मकथांग सूत्र अठारह दोष ३९७ की उन्नीस कथाएं ४२७ ८८८ गतागत के अठारह मेघकुमार की कथा ४२९ द्वार ३९८ धन्नासार्थवाह और ८८९ लिपियाँ अठारह ४०१ विजय चोर की कथा ४३४ ८९० साधु के अठारह कल्प ४०२ जिनदत्त और सागर८९१ दीक्षा के अयोग्य अठा दत्त की कथा ४३६ रह पुरुप ४०६ कछुए और शृगाल की ८९२ ब्रह्मचर्य के अठारह कथा ४३७ ४१० शैलक राजर्षि की कथा ४३८ ८९३ अब्रह्मचर्य के अठारह तुम्बे का दृष्टान्त ४४१
SR No.010512
Book TitleJain Siddhanta Bol Sangraha Part 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhairodan Sethiya
PublisherJain Parmarthik Sanstha Bikaner
Publication Year1942
Total Pages529
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & agam_related_other_literature
File Size20 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy