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________________ (१८) पृष्ठ बोल नं० पृष्ठ बोल नं० ८३२ चौदह प्रकार का दान २६ । ८४८ देवलोक में उत्पन्न होने ८३३ स्थविर कल्ली साधुओं वाले जीव ११५ के लिए चौदह प्रकार का पन्द्रहवाँ बोल संग्रह ११७ __उपकरण २८ ! ८४९ सिद्धो के पन्द्रह भेद ११७ ८३४ साधुओ के लिए अकल्प । ८५० मोक्ष के पन्द्रह अंग १२१ नीय चौदह बातें २९ ८५१ दीक्षा देने वाले गुरु ८३५ अविनीत के चौदह के पन्द्रह गुण लक्षण १२४ ८३६ माया के चौदह नाम ३१ । ८५२ विनीत के पन्द्रह लक्षण १२५ ८३७ लोभ के चौदह नाम ३२ / ८५३ पूज्यता को बतलाने वाली ८३८ चौदह प्रकार से शुभ पन्द्रह गाथाएं १२७ 1८५४ अनाथता की पन्द्रह नामकर्म भोगा जाता है ३३ गाथाएं १३० ८३९ चौदह प्रकार से अशुभ ८५५ योग अथवा प्रयोग नामकर्म भोगा जाता है ३३ गति पन्द्रह १३८ ८४० प्राभ्यन्तर परिग्रह के १८५६ बन्धन नामकर्म के चौदह भेद ३३ पन्द्रह भेद १४० ८४१ सप्रदेशी अप्रदेशी के ८५७ तिथियों के नाम पन्द्रह १४२ चौदह बोल ३४ । ८५८ कर्मभमि पन्द्रह १४२ ८४२ पढमापढम के चौदह द्वार ३८ } ८५९ परमाधार्मिक पन्द्रह १४३ ८४३ चरमाचरम के चौदह ४२ ८६० कर्मादान पन्द्रह १४४ ८४४ महानदियाँ चौदह ४५ सोलहवाँ बोल संग्रह १४७ ८४५ चौदह राजू परिमाण ८६१ दशकालिक सूत्र लोक द्वितीय चूलिका की ८४६ मार्गणास्थान चौदह ५५ सोलह गाथाएं १४७ ८४७ गुणस्थान चौदह ६३ ८६२ सभिक्खु भध्ययन की बाल
SR No.010512
Book TitleJain Siddhanta Bol Sangraha Part 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhairodan Sethiya
PublisherJain Parmarthik Sanstha Bikaner
Publication Year1942
Total Pages529
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & agam_related_other_literature
File Size20 MB
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