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________________ ४४० श्री सेठिया जैन प्रन्थमाला का मुखिया उसे बहुत मानने लगा। कुछ दिनों बाद चोरों का मुखिया मर गया। अपने पराक्रम के कारण चिलातीपुत्र चोरों का सेनापति बन गया। • धन्ना सार्थवाह की पुत्री सुषुमा अब जवान हो गई थी। उसने स्त्री की सभी कलाएं सीख ली । रूप और गुणों के कारण वह प्रसिद्ध हो गई । राजगृह से.प्राए हुए किसी पुरुष ने उसका हाल चोर सेनापति चिलातीपुत्र से कहा। उसने अपने साथी डाकुओं को बुला कर कहा-अाज हम लोग राजगृह में जाएंगे। वहाँ धना सार्थवाह नाम का प्रसिद्ध सेठ रहता है। उसके सुषुमा नाम की लड़की है। मैं उसके साथ विवाह करूगा । उसके घर से जितना धन लूट कर लाओगे वह सब तुम्हारा होगा। इस प्रकार लालच देने से सभी साथियों ने सहर्ष उसकी बात मान ली । वे राजगृह की ओर रवाना हुए। रात को धन्ना सार्थवाह के घर में घुसे । अवस्वापिनी (दूसरे को सुला देने की विद्या) द्वारा घर के सभी लोगों को सुला कर वे घर का सारा धन लेकर निकले। चोरसेनापति चिलातीपुत्र ने सुपुमा को पकड़ लिया। धन्ना सेठ को सारा हाल मालूम पड़ा। उसने रक्षकों को कहा, चोरों ने मेरा जो धन चुराया है वह सारा तुम्हारा है। मुझे केवल मेरी पुत्री सुषुमा लौटा देना। __रक्षक यह सुन कर चोरों की खोज में चल पड़े। धना सेठ भी पुत्रों के साथ उनके पीछे होलिया।धन्ना सार्थवाह को अपनी पुत्री के वियोग में बहुत दुःख हो रहा था। इतने में सूर्योदय होगया । • रक्षकों ने बहुत दूर धन को ले जाते हुए चोरों को देखा।उसके आगे सुषुमा को लेकर चिलातीपुत्र भी जा रहा था। लड़ने के लिए अच्छी तरह तैयार होकर वे चोर सेना के पास जा पहुंचे और उन्हें घायल करके सारा धन छीन लिया। यह हाल चिलातीपुत्र ने भी
SR No.010511
Book TitleJain Siddhanta Bol Sangraha Part 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhairodan Sethiya
PublisherJain Parmarthik Sanstha Bikaner
Publication Year2051
Total Pages506
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & agam_related_other_literature
File Size17 MB
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