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________________ २६२ भी सेठिया जैन प्रन्थमाला चक्रवर्तियों के ग्राम-प्रत्येक चक्रवर्ती के ६६-६६करोड़ ग्राम उनकी अभीनता में होते हैं। चक्रवर्तियों में से कितनेक तो राज्यलक्ष्मी और कामभोगों को छोड़ कर दीक्षा लेते हैं और कितनेक नहीं। - भरतक्षेत्र का चक्रवर्ती पहजे किस खण्ड को साधता है ? उत्तर में कहा जाता है कि पहले मध्यखएड को साधता है अर्थात् अपने अधीन करता है, फिर सेनानी रत्न द्वारा सिन्धु खण्ड को जीतता है। इसके पश्चात् गुहानुप्रवेश नामक रत्न से वैतादय पर्वत का उल्लंघन कर उधर के मध्यखण्ड को विजय करता है। बाद में सिन्धुखएड और गंगाखण्ड को साध कर वापिस इधर चला आता है। इधर पाने पर गंगाखएड को साध कर अपनी राजधानी में चला जाता है। चक्रवर्तियों के पिताओं के नाम-बारह चक्रवर्तियों के पिताओं के नाम क्रमश: इस प्रकार है(१) ऋषभदेव स्वामी (२) सुमति विजय (३) समुद्र विजय । (४)अश्वसेन (1) विश्वसेन(६)सूर्य (७) सुदर्शन (८) कृतवीर्य () पयोत्तर (१०) महाहरि (११) विजय (१२) ब्रह्म । चक्रवतियों की माताओं के नाम-(१)सुमंगला (२) यशस्वती (३) भद्रा(४)सहदेवी(५) अचिरा(६)श्री(७) देवी (८)तारा (8)जाला (१०)मेरा (१शवप्रा(१२) चुल्लगी। (समवायाग १५८) चक्रवर्तियों के जन्म स्थान-(१)चनिता (२) अयोध्या (३) श्रावस्ती (४-८) हस्तिनापुर (इस नगर में पाँच चक्रवर्तियों का जन्म हुआ था) (8) बनारस (१०) कम्पिलपुर (११) राजगृह (१२) कम्पिलपुर। (समवायांग १५८) (आवश्यक प्रथम विभाग श्र०१) चक्रवतियों का वन-वीयान्तराय कर्म के क्षयोपशम से चक्रबर्दियों में बहुत बल होता है । कुए आदि के तट पर बैठे हुए चक्रनों को ऋडला (सांकल) में बांध कर हाथी घोडे, रथ और पैदल
SR No.010511
Book TitleJain Siddhanta Bol Sangraha Part 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhairodan Sethiya
PublisherJain Parmarthik Sanstha Bikaner
Publication Year2051
Total Pages506
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & agam_related_other_literature
File Size17 MB
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