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________________ २३६ श्री सेठिया जेन अन्यमाला. 'पंच खंधे क्यंतेगे बाला उ खणजोइणो' अर्थात-कोई अज्ञानी क्षणमात्र स्थित रहने वाले पाँच स्कन्धों को बतलाते हैं। स्कन्धों से भिन्न आत्मा को वे नहीं मानते।। (४) उत्सर्ग सूत्र-सामान्य नियम का प्रतिपादन करने वाला सूत्र उत्सर्ग स्त्र कहलाता है। जैसे 'अभिक्खणं निविगई गया य अर्थात्- साधु को सदा विगय रहित आहार करना चाहिए। (५) अपवाद सूत्र-विशेष नियम का प्रतिपादन करने वाला सूत्र अपवाद सा कहलाता है। जैसे तिहमन्नयरागस्स, निसिजा जस्स कप्पई। जराए अभिभूयस्स, वाहियस्स तवस्सिो ॥ अर्थात्-अत्यन्त वृद्ध, रोगी और तपस्वी इन तीन व्यक्तियों में से कोई एक कारण होने पर गृहस्थ के घर बैठ सकता है। दशकालिक सूत्र के छठे अध्ययन में इस गाथा से पहले की गाथा में बतलाया गया है- साधु को गृहस्थ के घर में नहीं बैठना चाहिए। यह उत्सर्ग सूत्र (सामान्य नियम) है। इसका अपवाद सूत्र (विशेष नियम) इस गाथा में बतलाया गया है। (६) हीनावर सूत्र-जिस सूत्र में किसी अक्षर की कमी हो अर्थात् किसी एक अक्षर के बिना सूत्र का अर्थ ठीक नहीं पैठता हो उसे हीनाक्षर सूत्र कहते हैं।। (७) अधिकार सूत्र-जिस सूत्र में एक आध अक्षर अधिक हो उसे अधिकार सूत्र कहते हैं। (८) जिनफल्पिक सूत्र-जिनकल्पी साधुओं के लिए बना हुआ सूत्र जिन कल्पिक सूत्र कहलाता है। जैसे तेगिच्छं नाभिनंदिज्जा, संचिक्वात्तगवसए,। एवं खु तस्स सामण्णं, ज न कुज्जा न कारवे ।
SR No.010511
Book TitleJain Siddhanta Bol Sangraha Part 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhairodan Sethiya
PublisherJain Parmarthik Sanstha Bikaner
Publication Year2051
Total Pages506
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & agam_related_other_literature
File Size17 MB
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