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________________ २१६ श्री सेठियाजेन ग्रन्थमाला चौंतीस अतिशय। वाणी के पैंतीसगुण । भगवान महावीर का साधु साध्वी परिवार के साथ पधारना। भगवान् के पधारने की सूचना और वधाई। नमुत्थुणं की विधि व पाठवधाई के लिए पारितोषिक। भगवान् का चम्पा नगरी में पधारना । साधु के गुणों का वर्णन । लब्धि तथा तपप्रतिमा का वर्णन । साधुओं के विशेष गुण । साधुओं की उपमा । बारह तप के ३५४ मेद। साधुओं द्वारा शास्त्र के पठन पाठन का वर्णन | संसार रूपी समुद्र तथा धर्म रूपी जहाज का वर्णन। देव तथा मनुष्यों की परिषदाएँ ।नगर तथा सेनाका सजना । कोणिक राजा का सजधज कर वन्दन के लिए जाना । वन्दना के लिए भगवान् के पास जाना, पाँच अभिगम और वन्दना की विधि । रानियों का तैयार होना। स्त्रियों द्वारा वन्दना की विधि। तीर्थङ्कर का धोपदेश । परिषद् द्वारा की गई प्रशंसा। (२) औपपातिक अधिकार-गौतम स्वामी के गुण, संशय और प्रश्न । कर्मवन्ध, मोहवन्ध, कर्मवेद, नरकगमन, देवगमन श्रादि विषयक प्रश्न तथा उनके उत्तर । सुशील स्त्री और रस त्यागी का वर्णन तथा उनके लिए प्रश्नोत्तर । तापस, कंदी साधु, सन्यासी, अम्बडसन्यासी, दृढ़प्रतिज्ञ, प्रत्यनीक साधु, तिर्यश्च श्रावक, गोशालक मत, कौतुकी साधु, निह्नव, श्रावक, साधु तथा केवली के विषय में प्रश्न तथा उनके उत्तर । (३) सिद्धाधिकार केवली समघात। सिद्धों के विषय में प्रश्नोत्तर सिद्धों का वर्णन गाथा रूप में। सिद्धों के सुख का प्रमाण । जंगली का दृष्टान्त । सिद्धों के सुख । (२) रायपसेणी सूत्र उपाङ्ग सूत्रों में दूसरे सत्र का नाम 'रायपसेणी है। टीकाकार और वृत्तिकार आचार्यों का इस सूत्र के नाम के विषय
SR No.010511
Book TitleJain Siddhanta Bol Sangraha Part 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhairodan Sethiya
PublisherJain Parmarthik Sanstha Bikaner
Publication Year2051
Total Pages506
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & agam_related_other_literature
File Size17 MB
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