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________________ २१२ श्री सेठिया जैन ग्रन्थमाला हैं।अहिंसा भगवती को पाठ उपमाएं दी गई है। अहिंसा व्रत की रक्षा के लिए पाँच भावनाएं बतलाई गई हैं । अहिंसा का पालन मोक्ष सुखों का देनेवाला है। (२) सत्य अध्ययन-इसमें सत्य वचन का स्वरूप बतला कर उसका प्रभाव बतलाया गया है । सत्य वचन के जनपद सत्य, सम्मत सत्य आदि दस मेद । भाषा के संस्कृत, प्राकृत आदि बारह भेद । एकवचन द्विवचन आदि की अपेक्षा वचन के सोलह मेद। सत्य व्रत की रक्षा के लिए पॉच भावनाएँ । सत्य व्रत के पालन से मोक्ष सुखों की प्राप्ति होती है। (३) अस्तेय अध्ययन - इसमें अस्तेय व्रत का स्वरूप है। अस्तेय व्रत सुव्रत है। अपने स्वरूप को छिपा कर अन्य स्वरूप को 'प्रकट करने से अस्तेय व्रत का भङ्ग होता है। इस लिए इसके तप चोर, वयचोर, रूपचोर, कुलचोर, आचारचोर और भाचोर ये छ भेद बतलाए गए हैं। इस व्रत की रक्षा के लिए पांच भावनाएं चवलाई गई हैं। इसका आराधक मोक्ष सुख का अधिकारी बनता है। (४) ब्रह्मचर्य अध्ययन-ब्रह्मचर्य व्रत, ज्ञान, दर्शन, चारित्र आदि सब गुणों का मूल है। सब व्रतों में यह व्रत सर्वोत्कृष्ट और उत्तम है । पाँच समिति, तीन गुप्ति से अथवा नववाड़ से ब्रह्मचर्य की रक्षा करनी चाहिए । इस व्रत का आचरण धैर्यवान, शुरवीर और इन्द्रियों को जीतने वाला पुरुष ही कर सकता है। इस व्रत के मङ्ग से सब व्रतों का भङ्ग हो जाता है। संसार के अन्दर सर्वश्रेष्ठ पदार्थों के साथ तुलना करके इसको बत्तीस उपमाएं दी गई हैं। इस व्रत की रक्षा के लिए पाँच भावनाएँ चतलाई गइ हैं। (५) अपरिग्रह अध्ययन-साधु को निष्परिग्रही होना चाहिए। उसे किन किन बातों का त्याग करना चाहिए और कौन कौन सी बातें अङ्गीकार करनी चाहिए इसके लिए एक बोल से लगाकर
SR No.010511
Book TitleJain Siddhanta Bol Sangraha Part 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhairodan Sethiya
PublisherJain Parmarthik Sanstha Bikaner
Publication Year2051
Total Pages506
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & agam_related_other_literature
File Size17 MB
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