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________________ ६२३ संघरूपी नगर की आठ उपमाएं ५७३ संयम श्राठ ७१० संवर ६६७ संसप्प योग ६७९ संसार की समुद्र उपमा दस ७२८ संसार में आने वाले :३०: १५६ ११ ३८५ २५३ २६९ जीव दस ७१२ संज्ञा दस ६९८ सत्य वचन दस ८ ६९९ सत्यामृषा भाषा ६३३ सद्भाव पदार्थ नौ ७०९ समकित विनय दस ५७० समिति और गुप्ति ६९३ समकित के दस बोल ३६२ ६६४ समाचारी दस २४९ ५७९ समानता आठ प्रकार से साधु और सोने की ६७४ समाधि दस ७०१ समाधिस्थान ब्रह्मचर्य ४१५ ३८६ ३६८ ३७० १७७ ३८४ ९ २६२ के ६३२ सम्भोगी को विसम्भोगी करने के नौ स्थान ६९४ सम्यग्दर्शन सराग ६९३ सम्यक्त्व प्राप्ति के दस बोल ३७२ १७६ ३६४ ३६२ ६९४ सराग सम्यग्दर्शन ३६४ ७२७ सर्वजीव दस ४१५ ४१४ ७२६ सर्वजीव दस ७६१ सातावेदनीय बांधने दस बोल ४४३ ५७१ साधु और सोने की आठ ९ गुणों से समानता ५८३ साधु को वर्जनीय आठ दोष ७०८ साधु सेवा के फल ५६७ सिद्ध भगवान् के आठ गुण ५८४ सीखने वाले के आठ गुण ७६९ सुख दस ७३३ सुपर्णकुमारों के अधिपति ३८ ३८३ ६६० स्थविर दस ६२१ स्थिति आठ ५९७ स्पर्श आठ ६३८ स्वप्न के नौ कारण ३५७ स्वप्न दस भगवान् महावीर के ४ ४१८ ६११ सूक्ष्म आठ १२८ ७४७ सूक्ष्म दस ४२३ ७४० स्तनितकुमारों के अधि. ४२० ६७६ स्थण्डिल के दस विशेषण ३८ ४५३ २६४ २३२ १४८ १०८ २०६ २२४
SR No.010510
Book TitleJain Siddhanta Bol Sangraha Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhairodan Sethiya
PublisherJain Parmarthik Sanstha Bikaner
Publication Year1942
Total Pages490
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & agam_related_other_literature
File Size17 MB
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