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________________ [७] २७१५६२ व्यवहार नय ५६१ रोहगुप्त छठा निहव ४७१ लेश्या छह ५०५ लोकोपचार विनय ४२४ वक्तय प्रवक्तव्य २९५ ४५९ वचन ( प्रशस्त ) ५५४ वचन विकल्प सात ५०२ वचन विनय अप्रशस्त २३२ ५०१ वचन विनय ( प्रशस्त ) २३२ ४६६ वनस्पतिकाय ७० २३३ १० ६२ ६६ ८४ ४७५ वन्दना के लाभ ५०८ वर्त० श्रव० के कुलकर २३७ ५०९ वर्त० कुलकरों की भार्या २३८ ५३७ वर्षधर पर्वत सात ४१५ ४२५ व्यवहार राशि निगोद २१ ३०५ ३०० ५५९ व्यान वायु ५५७ व्युत्सर्ग सात ५४१ शक्र ेन्द्र की सेना तथा सेनापति ४४६ शम्बूकावर्ता गोचरी ५६२ शब्दनय ४९७ शिक्षात्रत १४० ३९९ ४९७ श्रमण संस्कृति ४५२ श्रावक के छः गुण ४४५ श्रुत प्रत्यनीक ५४४ श्रेणियाँ सात ५० २७० २८२ १८२ ११५ ५६२ संग्रह नय ४१४ ४९७ वस्तु का लक्षण ५४५ ऋण बादर पृथ्वीकाय २८४ ४२५ वस्तुस्व सामान्य गुण १७ १७४९७ षडदर्शन ५५९ वायु द्वारा फलविचार ३०८ ५३६ वास सात जम्बूद्वीप में २६९ ५३२ विकथा सात ४४९ विक्षिप्ता प्रतिलेखना ५४ ५५३ विनय समाधि अध्ययन २९३ ४९८ विनय २६७ ५१४ संग्रह स्थान श्र० उ० के २४२ ४७० संघयण संहनन के भेद ६९ ४६९ संठारण ( अजीव के ) ६९ ४६८ संठाण (जीव के ) ६७ २९३ ५४ (२०५ ६७ ५५८ विभङ्ग ज्ञान के भेद ५५५ विरुद्धोपलब्धि हेतु ४९३ विवाद के प्रकार ४८७ विषपरिणाम ४४९ वेदिका प्रतिलेखना ४९० वेदिक दर्शन ४९७ वैभाषिक बौद्ध ४९७ वैशेषिक दर्शन ५६१ बोटिक निव २२९ | ५५२ संठाण ३०१ २९६ १०२ १०० ५४ २७६ ५२ ४१७ २०१ ११६ ५६ ४४९ संमर्दा प्रतिलेखना ४९७ संवर ४६८ संस्थान (जीव के) ५५२ संस्थान २९३ ४७० संहनन ६९ १३२ ५३० संहरण के अयोग्य व्यक्ति २६६ १२९४५८ सकसाथी के लिए अहितकर स्थान ४२५ सत्व सामान्य गुण ६१ RR
SR No.010509
Book TitleJain Siddhanta Bol Sangraha Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhairodan Sethiya
PublisherJain Parmarthik Sanstha Bikaner
Publication Year1942
Total Pages483
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & agam_related_other_literature
File Size15 MB
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