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________________ [६] ४८० प्रतिक्रमण के भेद ९४|४९७ ब्राह्मण संस्कृति ११६ ५१८ प्रतिज्ञा सात २४८ | ५४३ भ० मल्लिनाथ आदिएक ४४७ प्रतिलेखना की विधि ५२ साथ दीक्षालेनेवालेसात २७७ ५२१ प्रतिलेखना प्रमाद युक्त २५१ ४७४ भङ्ग औदयिकादिभावों के८१ ४४५ प्रत्यनीक ४९ | ५३३ भयस्थान सात ४८२ प्रत्या० पालने के अङ्ग ९६ ४७४ भाव छः ८१ ४८१ प्रत्याख्यान विशुद्धि ९५ ४४५ भाव प्रत्यनीक ५१ ५६१ प्रथम निह्नव ३४२ | ५११ भावी उ० के कुलकर २३९ ४२६ प्रमाद छः ५९ ४९१ भिउडि अधालोयण ४४९ प्रमाद प्रतिलेखना छः ५३ | श्रादि नकारेकेछ:चिह्न १०२ ५२१ प्रमाद प्रतिलेखनासात २५१] ४८६ भोजन परिणाम छः ९९ ४९७ प्रमाण और नय १७० | ५०० मन विनय अप्रशस्त २३१ ४२५ प्रमेयत्व सामान्य गुण १९ | ४९९ मन विनय प्रशस्त) २३१ ५१३ प्रवर्तक पदवी २४० ४३७ मनुष्य के छः प्रकार ४१ ५०३ प्रशस्त काय विनय २३२ ४३६ मनुष्य क्षेत्र छः ४१ ४९९ प्रशस्त मन विनय २३१ | ०१६ महत्तरागार २४७ ५०१ प्रशस्त वचन विनय २३२ ५३९ महानदियाँ पश्चिमगा०)२७० ४४९ प्रस्फोटना प्रतिलेखना ५४ ५३८ महानदियाँ (पूर्वगा०)२७० २९४ प्रश्न छह प्रकार का १०३ | ४५७ महामिथ्यात्व के बोल ६० ४९२ प्राकृत भाषा के भेद १०२ ४९७ माध्यमिक बौद्ध १२९ ५५९ प्राणवायु ३०४ ५६० मिथ्यादृष्टि नेरिये ३१८ ५५९ प्राणायाम सात ४९७ मीमांसा दर्शन १५२ ४९७ बन्ध २०१ | ५४२ मूलगोत्र सात २७६ ४९७ बन्ध के भेद २०४|४९७ मोक्ष ५६१ बहुरत पहला निह्रव ३४२ | ४४९ मोसली प्रतिलेखना ५४ ४२६ बादर पुद्गल २५ ४४२ मोहनीय बन्धके कारण ४४ ४६६ बादर वनस्पतिकाय ६६ ५२२ यथालिन्दक कल्प २५९ ५४५ बादर नक्ष्ण पृथ्वी २८४ | ५६० युग्म नेरियों में ३४१ ४७६ बाह्य तप ८५ | ४९७ योग दर्शन १४९ ४९७ बौद्धदर्शन ७ योगाचार बौद्ध १२९
SR No.010509
Book TitleJain Siddhanta Bol Sangraha Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhairodan Sethiya
PublisherJain Parmarthik Sanstha Bikaner
Publication Year1942
Total Pages483
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & agam_related_other_literature
File Size15 MB
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