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________________ ३५४ [ ३७ ] विपय बोल नम्बर विषय बोल नम्बर दण्डायतिक ३५६ दिशि गुणत्रत (क) १२८ दर्शन ११ दीपक समकित दर्शन १६५ दुःख गर्भित वैराग्य दर्शन कुशील ३६६ दुःखशय्या चार दर्शन के तीन भेद ७७ दुःशीलता दर्शन पुलाक ३६७ 'दुःसंज्ञाप्य तीन दर्शन प्रायश्चित्त २४५ दुर्लभ बोधि दर्शन मोहनीय २८ दुर्लब बोधि के पाँच कारण २८६ दर्शन विराधना ८७ दुष्पक्वौपधि भतण दर्शन के चार भेद १६ दुष्प्रत्याख्यान दर्शनाचार ३२४ दृष्ट लामिक दर्शनाराधना ८६ दृष्टिजा क्रिया दर्शनेन्द्र ६३ दृष्टि विपर्यास दण्ड दशवकालिक सूत्र की व्याख्या और देवगुरु की वैयावृत्त्य दश अध्ययनों के नाम तथा इनके देव तत्त्व विषय का संक्षिप्त परिचय २०४ देवता की ऋद्धि के तीन दशा श्रुतस्कन्ध का संक्षिप्त भेद १०० विपय परिचय २०५ देवताओं के चार भेद १३६ दान १९६ देवता की तीन अभिलाषाएँ १११ दान के चार प्रकार १६७ । देवताओं की पहचान के दान शूर १६३ चार बोल १३७ दानान्तराय ३८८ | देवता का चार प्रकार का दिगाचार्य ३४१ आहार २६३ दिशा परिमाण व्रत के पाँच देवता के च्यवन ज्ञान के अतिचार ३०६ तीन बोल ११३
SR No.010508
Book TitleJain Siddhanta Bol Sangraha Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhairodan Sethiya
PublisherJain Parmarthik Sanstha Bikaner
Publication Year1940
Total Pages522
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & agam_related_other_literature
File Size12 MB
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