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________________ [ ३२ ] बोल नम्बर विषय विषय कौतुक कौरच्य कौत्कुच्य क्रिया की व्याख्या और उसके भेद क्रिया पांच क्रिया के पांच प्रकार क्रिया के पांच भेद क्रिया के पांच भेद क्रियावादी क्रियावादी क्रोध क्रोध के चार प्रकार क्रोध की उत्पत्ति के चार 1 ४०४ क्षायोपशमिक समकित ३०८ | क्षायोपशमिक समकित ४०२ क्षेत्र क्षेत्र पल्योपम क्षेत्र वास्तु प्रमाणातिक्रम क्षेत्र वृद्धि क्षेत्र सागरोपम तान्ति क्षायिक क्षायिक समfea क्षायिक समकित क्षायोपशमिक २९२ २६३ २६४ २६५ । २६६ १६० १६१ १५८ १६ स्थान कोध के चार भेद और उनकी उपमाएं १६५ 1 क्षपक श्रेणी क्षमाशूर क्षयोपशम प्रत्यय अवधिज्ञान १३ ख खर कटक के समान श्रावक खेचर १५६ ५६ गणना अनन्तक 1 १६३ गणितानुयोग बोल नम्बर ΤΟ । गणिम भाण्ड 1 ग गच्छ में आचार्य उपाध्याय के 1 पांच कलह स्थान ३५० गति की व्याख्या ३८७ | गति पांच το २८२ | गद्यकाव्य ७३८८ | गर्भ गति प्रतिघात २८२ २१० १०८ ३०५ ३०६ १०६ १८५ ४०६ ३४४ ४१७ २११ २६४ १३१ २७८ ४१६ २१२ ६६
SR No.010508
Book TitleJain Siddhanta Bol Sangraha Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhairodan Sethiya
PublisherJain Parmarthik Sanstha Bikaner
Publication Year1940
Total Pages522
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & agam_related_other_literature
File Size12 MB
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