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________________ ४२१ १२० ३७१ ६६ [ २६ ] विषय बोल नम्बर विषय बोल नम्बर अर्थ दण्ड ३६ ' अवान्तर सामान्य ५६ अर्थ दण्ड २६० अवाय २०० अर्थधर पुरुप ८४ अविरति दोप २८९ अर्थ पुरुषार्थ ६४१ अव्यक्त स्वप्न दर्शन अर्थ रूप श्रुत धर्म १६ अव्यवहार राशि अर्थागम ८३ अव्याप्ति अर्थान्तर २७० अशबल अर्थावग्रह ५८ असंख्यात जीविक अर्ध पर्यङ्का ३५८ असंज्ञी अलङ्कार सभा ३६७ असंभव अल्प आयु के तीन कारण १०५ असंयती अलोकाकाश ३४ अमंयम पांच २६७ अवग्रह के दो भेद ५८ , अमंवृत बकुश ३६७ अवग्रह २००' असत्य भापा २६६ अवधि ज्ञान ३७५ अमत्य वचन के अवधिज्ञान की व्याख्या चार प्रकार और भेद १३ अमत्यामृपा भाषा ( व्यवहार अवधिज्ञान या अवधिज्ञानी भापा ) के चलित होने के पांच बोल ३७७ असद्भावोद्भावन अवधिज्ञानी जिन ७४ । असाता वेदनीय अवधि ज्ञानावरणीय ३७८ असि कर्म अवधि दर्शन १६६ अस्तिकाय धर्म अवन्दनीय साधु पांच ३४७ अस्तिकाय के पांच पांच भेद २७७ अवसन्न अष्ट स्पर्शी अवसर्पिणी ३३ | अहिंसा २६६ २७० ५१ ३४७
SR No.010508
Book TitleJain Siddhanta Bol Sangraha Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhairodan Sethiya
PublisherJain Parmarthik Sanstha Bikaner
Publication Year1940
Total Pages522
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & agam_related_other_literature
File Size12 MB
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