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________________ श्री सेठिया जैन मन्थमाला करने की शिक्षा, सावधानता रखने पर विशेष जोर, घड़ी विना दिवस तथा रात्रि जानने की समयपद्धति । (२७) खलुङ्कीय: are गर्गाचार्य का साधक जीवन. गलियार बैलों के साथ शिष्यों की तुलना, स्वछन्दता का दुष्परिणाम. शिष्यों की आवश्यकता कहाँ तक है ? गर्गाचार्य का अपने सब शिष्यों को निरासक्त भाव से छोड़ कर एकान्त आत्म-कल्याण करना । (२८) मोक्षमार्ग गतिः - मोक्षमार्ग के साधनों का स्पष्ट वर्णन, संसार के समस्त तत्त्वों के सात्त्विक लक्षण, आत्म विकाम का मार्ग सरलता से कैसे मिल सकता है ? १७० (२६) सम्यक्त्व पराक्रमः - जिज्ञामा की सामान्य भूमिका से लेकर अन्तिम साध्य (मोक्ष) प्राप्ति तक होने वाली समस्त भूमिकाओं का मार्मिक एवं सुन्दर वर्णन, उत्तम ७३ बोलो की पृच्छा, उनके गुण और लाभ | (३०) तपोमार्ग: कर्मरूपी ईंधन को जलाने वाली अग्नि कौन सी है ? तपश्चर्या का वैदिक, वैज्ञानिक, तथा आध्यात्मिक इन तीन दृष्टियों से निरीक्षण, तपश्चर्या के भिन्न २ प्रकार के प्रयोगों का वर्णन । और उनका शारीरिक तथा मानसिक प्रभाव ।
SR No.010508
Book TitleJain Siddhanta Bol Sangraha Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhairodan Sethiya
PublisherJain Parmarthik Sanstha Bikaner
Publication Year1940
Total Pages522
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & agam_related_other_literature
File Size12 MB
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