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________________ श्री जैन सिद्धान्न बोल संग्रह १६६ रथनेमि तथा राजमती का एकान्त में आकस्मिक मिलन, रथनेमि का कामातुर होना, राजमती की अडिगता, राजमती के उपदेश से संयम से विचलित रथनेमि का पुनः संयम में स्थिर होना, स्त्रीशक्ति का ज्वलन्त दृष्टान्त । (२३) केशी गौतमीयः -- श्रावस्ती नमरी में महा मुनि केशी श्रमण से ज्ञानी मुनि गौतम स्वामी का मिलना, गम्भीर प्रश्नोत्तर, समय धर्म की महत्ता, प्रश्नोत्तरों से सब का समाधान और केशी श्रमण का भगवान् महावीर द्वारा ग्ररूपित आचार का ग्रहण | (२४) समितियें: आठ प्रवचन माताओं का वर्णन, सावधानी एवं संयम का सम्पूर्ण वर्णन, कैसे चलना, बोलना, भिक्षा प्राप्त करना, व्यवस्था रखना, मन, वचन और काय संयम की रक्षा आदि विस्तृत वर्णन (२५) यज्ञीयः -- याजक कौन है ? यज्ञ कौन सा ठीक है ? अनि कैसी होनी चाहिए ? ब्राह्मण किसे कहते हैं ? वेद का असली रहस्य, सच्चा यज्ञ, जातिवाद का पूर्ण खण्डन, कर्मवाद का मण्डन श्रमण, मुनि, तपस्वी किसे कहते हैं ? संसार रूपी रोग की सच्ची चिकित्सा, सच्चे उपदेश का प्रभाव । (२६) समाचारी: साधक भिक्षु की दिनचर्या, उसके दस भेदों का वर्णन, दिवस का समय विभाग, समय धर्म को पहिचान कर काम ·
SR No.010508
Book TitleJain Siddhanta Bol Sangraha Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhairodan Sethiya
PublisherJain Parmarthik Sanstha Bikaner
Publication Year1940
Total Pages522
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & agam_related_other_literature
File Size12 MB
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