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________________ ( १६४ ) श्री जैन नाटकीय रामायण | और उनकी रानी विदेहा के विषय में भापको परिचय कराये देता हूं । सुनिये ! सा० – कहिये मैं बराबर सुन रहा हूं । ० राजा जनक की स्त्री विदेहा के गर्भ से पुत्र और पुत्री का जन्म हुआ । कोई देव पूर्व काल के वैर से उसके पुत्र को उठा लेगया । और मारना चाहा किन्तु फिर उसे दया भा गई । और उसे गहने पहना कर जंगल में छोड़ गया । कोई एक परालब्धी नामक विद्याधर उस रास्ते से भाया । और वह उसको उठा लेगया । और अपनी स्त्री को दे कर अति लाड़ प्यार से उसे पाला । उसका नाम भामंडल रखा। इधर पुत्र को हरण देख कर रानी विदेहा कैसे २ विलाप करती है । इसको इस दृश्य के पश्चात दिखाया जायगा ? सा०--- रामायण में केवल सीता का जन्म ही दिखाया है किन्तु आपने उसके विषय में सब बता दिया । एक बात यह पूछनी है कि सीता को वैदेही कहा है क्यों कि वह किसी के देह से उत्पन्न नहीं हुई थी । हल चलाते हुने खेत में गड़ी हुई मिली थी। यह क्या बात है ? न० - सुनिये, सीता का नाम वैदेही इस लिये पड़ा है कि वह विदेहा रानी की पुत्री थी । हल चलाते हुवे पृथ्वी में से, सीता, निकली ! यह बात असंभव है ।
SR No.010505
Book TitleJain Natakiya Ramayan
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages312
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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