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________________ द्वितीय भाग। (१५७) - - सज्जन-माज कल हमारे देश में विदेशियों का शासन है । उनके कार्य की समालोचना करने के लिये हमें उनकी भाषा पढ़नी आवश्यक है। किंतु फिर भी पुरुषों को चाहिये कि विदेशी भाषा पढ़ा हुवे भी अपने देषी विवेक और सभ्यता को न त्यागें । आपने कहा कि जिस कार्य को पुरुष करते हैं उसको स्त्रियां क्यों नहीं कर सकती । सुनिये ! पुरुष युद्ध करते हैं । स्त्रियां क्यों नहीं करती ? पुरुष व्यापार करते हैं स्त्रियां क्यों नहीं करती ? पुरुष तपस्या करते हैं स्त्रियां क्यों नहीं काती : क्योंकि उनमें बल्ल वुद्धी पूर्वावर विचार सहन शीलता आदि गुण नहीं होते। सेठजी-झांसी की महारानी ने युद्ध किया था। मीरा बाडे ने तपस्या की थी उन्हें आप विल्कुल भुना ही रहे हैं। सज्जन-एक हजार पुरुषों का दृष्टांत जहां उपस्थित हो वहां यदि १ स्त्री का दृष्टांत भाजाय तो इसका यह अर्थ नहीं होता कि वह कार्य सब स्त्रियों ने किया होगा। सेठजी-तो मैं क्या करूं, मैं तो अपनी लड़कीको कालेज में पढ़ा रहा हूं। इससाल वह बी. ए. के तीसरे वर्ष है में। यदि उससे कहूं कि पढ़ना छोड़ दे तो भी वह नहीं छोड़ती । भाई मेरे पास रुपया है तो मैंने सोचा कि उसे इसी तरह सदुपयोग
SR No.010505
Book TitleJain Natakiya Ramayan
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages312
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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