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________________ द्वितीय भाग । ( ८१ ) श्री वीराय नमः । जैन नाटकीय रामायण | द्वितिय भाग 1 अंक प्रथम दृश्य प्रथम स्थान ( क्षीरकदम्ब की स्त्री की कुटिया । अपने गमलों में पानी दे रही है । ; गाना नहीं ये पिया, मोर फाटे हिया । ( इतने ही में उसका पुत्र पर्वत आ जाता है ) माता - क्यों पर्वत तू अपने पिता को कहाँ छोड़ प्राया ? पर्वत --- माता ! मैं, वसू और नारद तीनों पिताजी के साथ गये थे सो रास्ते में पिताजी ने दिगम्बर मुनियों को बैठे देखा | उन्हें प्रणाम किया । मता -- फिर क्या हुआ ?
SR No.010505
Book TitleJain Natakiya Ramayan
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages312
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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