SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 233
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ जम्बूस्वामी चरित्र है तब उनके गलेमें पुष्पोंकी माला मुरझा जाती है, शरीरकी चमक मन्द पड़जाती है, उनके करा वृक्षोंकी ज्योति कम होजाती है, महा राज ! इस देवके मुखका तेज सब दिशाओंमें व्याप्त है । इसका शरीर बड़ा तेजस्वी है, यह प्रत्यक्ष दिखलाई पड़ता है। यह बात बड़े माश्चर्यकी है। तब सिंहासन पर विराजमान श्री जिनेन्द्ररूपी देवने राजा श्रेणिकके संशयरूपी अंधकारको दूर करते हुए गम्भीर वाणीसे यह प्रकाश किया कि हे राजन् ! इस देवका सर्व वृतान्त माश्चर्यकारक है। इस देवकी कथाको सुननेसे धर्मप्रेमकी वृद्धि होगी व संसार शरीर भोगोंसे वैराग्य उत्पन्न होगा। तु चित्त लगाकर सुन । भावदेव भवदेव ब्राह्मण। इसी धनधान्य सुवर्णादिसे पूर्ण मगधदेशमै पूर्वकालमें एक -बर्द्धमान नामका नगर था। वह नगर वन व उपवनोंकी पंक्तिसे व कोट खाई मादिसे शोभनीक था। विशाल कोटके चार विशाल द्वार थे। जहांकी महिलाएं भी सुन्दर थीं, वस्त्राभूषणोंसे अलंकृत थीं। वहां ऐसे ब्राह्मण रहते थे जो वेद मार्गको जाननेवाले थे। पुण्यके व हितके लाभके लिये यज्ञमें हिंसा पशुवध करते थे। मिथ्यात्वके अंधकारसे कुमार्गगामी विम यज्ञोंमें गौ, हाथी, बकरादि यहां तक कि मानवकी भी बलि करते थे। उन्होंमें एक आर्यावनु नामका ब्राह्मण रहता था, जो वेदका ज्ञाता व अपने धर्म कर्ममें प्रवीण था। , उसकी स्त्री सोमशर्माबड़ी पतिव्रता सीताके समान साध्वी तथा पतिकी माज्ञानुकूल चलनेवाली थी। उस ब्राह्मणके दो पुत्र भावदेव, भवदेव
SR No.010505
Book TitleJain Natakiya Ramayan
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages312
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy