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________________ प्रथम भाग। (४९) हम पिता कहेंगे अब किसको, ___ इसका बस हमको रंज भी है ॥ अब तक अानन्द उड़ाते थे, चिन्ता हमको कुछ भी ना थी। रह गये अकेले हम दोनों, अंधेर भी है और चन्द भी है ॥ आकर तुम बन में तप द्वारा, कर्मों की सेना जीतोगे। अविकार राज्य को पाओगे, बस इस ही से अानन्द भी है ॥ सूयरज-पुत्र, तुम दोनों बड़े ही बुद्धिमान हो । इस समय संसार की दशा मेरी आँखों के सामने चित्र पट बना रही है। वह देखो नरकों के प्राणी, दुख उठा रहे कैसे कैसे । बह रही रक्त की नदियां हैं, गिर रहे अंग कट कर कैसे ॥ १ हा, भूख प्यास चिल्लाते हैं, दाना पानी नहिं पाते हैं। निज कानी के फच पाते हैं, नहीं कह सकता हूँ किन जैसे ॥ २ तिर्यंचगती में भी देखो, सब प्राणी दुःख उठाते हैं।
SR No.010505
Book TitleJain Natakiya Ramayan
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages312
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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