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________________ ( ४४ ) '. १ पहिला महाव्रतमें साधुजी सर्वथा प्रकारे जीव हिंसा करे नहीं कगवे नहीं करता .. ' ' भलो नाणे नहीं मनसें वचनसे कायासें । २ दूसरा महाब्रतमें साधुजौ सर्वथा प्रकार झूठ बोले नहीं बोलावे नहीं बोलता' प्रते भलो जाण नहीं मनसे वचनसे कायासें । ३ तौजा महा ब्रतमें साधुजी सर्वथा प्रकारे चोरी करे नहीं करावे नहीं करतां प्रते · भलोनाणे नहीं सनसें वचनसें कायासें। ४ चौथा महा व्रतमे साधुजी सर्वथा प्रकारे मैथुन सेव नहौं सेवावे नही सैवतां प्रते भलोजामो नहीं मनसें वचनसें कायासें । ५ पंचमां महा ब्रतमें साधुनी सर्वथा प्रकारे परिग्रह गखे नहीं रखावे नहीं राखतां प्रते भलोनाग नहीं मनसें वचनसें कायासें । २४ चौवीसमें बोले भांगा ४८ गुणचास :- . करगा ३ तीन जोग ३ तौनसे हुवे। करण ३ तीनका नाम-कार नहीं कराया नहीं अनुमोदू, नहीं नोग ३ तीनका नाममनसा, वायसा कायसा ।
SR No.010500
Book TitleJain Hit Shiksha Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKumbhkaran Tikamchand Chopda Bikaner
PublisherKumbhkaran Tikamchand Chopda Bikaner
Publication Year1925
Total Pages243
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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