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________________ ( १२३ ) २ श्रधर्मास्तिकाय सावद्य के निर्बंद्य, दोनूं अजीव है 1 दोनूं नही ३ आकाशास्तिकाय सावयक निर्बंद्य, दोनूं नहीं अजीव है । ४ काल सावद्य के निर्वद्य, दोनं नहीं अजीव के ५ पुद्रलास्तिकाय सावदा के निर्वद्य, दोनूं नहीं अजीव है I ६ जौवास्तिकाय साद्य के निर्वद्य, दोनं है खोटा परिणामा सावद्य है चोखा परिणामा निर्वद्य है । छवद्रव्यपर लड़ी नवमी आज्ञा मांहिबाहेरकी । १ धर्मास्तिकाय आना मांहिके बाहिर दोनूं नहीं ते किणन्याय आज्ञा मांहि बाहिर तो जीव है अनेए अजीव है । 1 २ अधर्मास्तिकाय आज्ञा मांहिके बाहिर दोनॅ नहीं किन्याय अजीव है । ३ आकाशास्तिकाय आज्ञा मांहिके बाहिर दोनंं नहीं किणन्याय अजीव है 1 ४ काल आज्ञा सांहिके बाहिर दोनूं नहीं कियन्याय जीव है ।
SR No.010500
Book TitleJain Hit Shiksha Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKumbhkaran Tikamchand Chopda Bikaner
PublisherKumbhkaran Tikamchand Chopda Bikaner
Publication Year1925
Total Pages243
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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