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________________ ७७२ *H जैन-गौरव-स्मृतिय eartRakPatraKANKRANTHANKStart १६५५ में हुवा । आपके दो पुत्र हैं रमेशचन्दजी विजयराजजी । सेठ नेमीचन्दर्ज समाज प्रेमी, दानवीर पुरुष हैं। सेठ लक्ष्मणदासजी शिवलालजी परभणी . .. इस परिवार का मूलबास स्थान ताजौली (जोधपुर स्टेट ) है। आज करीब १२५ वर्ष पूर्व सेठ लक्ष्मणदासजी सांकला साड़े गांव ( निजाम) आये कुछ समय बाद आपने परभणी में अपनी फर्म स्थापित की जिस पर बैंकिंग तथ कपास का व्यवसाय चालू किया सं० १९२७ में सेठ लक्ष्मणदासजी स्वर्गवासी हुए आपके बाद आपके पुत्र शिवलालजी ने फर्म के कार्य में अच्छी उन्नति की। आप एक प्रतिष्ठा सम्पन्न व्यक्ति थे। सेठ शिवलालजी का स्वर्गवास १६७६ रे हुआ आपके नाम पर हेमराजजी सांकला दत्तक आये। - - - सेठ हेमराजजी सांकला-आपका जन्म सं० १९५१ में हुआ। आप एक धर्मनिष्ठ व्यक्ति है। आपकी ओर से मंदिरों. तीर्थ स्थान एवं परोपकार में सहा यता की गई है । परभणी के पार्श्वनाथजी के मन्दिर में अच्छी सहायता आपक ओर से की गई थी। सेठ हेमराजजी के पुत्र कुन्दनमलजी योग्य तथा मिलनसा सज्जन हैं । आप जैनं तेरा पन्थी आम्नाय के अनुयायी है। अपकी फर्म व्यपारिक समाज में प्रतिष्ठित मानी जाती है। ... सेठ राजमलजी अमरचंदजी भटेवड़ा : ........ - परभणी . . सेठ राजमलजी व . अमरचंदजी दोनों भाई सेठ सूरजमलजी भटेवड़ा के सुपुत्र हैं । सेठ राजमलजी का जन्म सं० १९६३ चैत्र शुक्ला १ है। आपके ४ पुत्र । है:-श्री : नेमीचन्दजी. चन्द्रकान्तजी - लक्ष्मीचंदजी तथा वसन्तीलालजी । श्री अमरचन्द के वीरचन्दजी नामक पुत्र हैं। __'सेठ राजमल अमरचन्द भटेवड़ा' नाम से आपकी फर्म पर रूई का एक्स , पोर्ट व इम्पोर्ट का व्यवसाय होता है। परभनी के प्रसिद्ध श्रीमंत व्यापारियों .. में आपकी गणना है। views : . . ". ११ ३. स
SR No.010499
Book TitleJain Gaurav Smrutiya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorManmal Jain, Basantilal Nalvaya
PublisherJain Sahitya Prakashan Mandir
Publication Year1951
Total Pages775
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size44 MB
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