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________________ जैन-गौरव-स्मृतियां -ad - - *श्री सेठ प्रेमराजजी गणपतराजजी बोहरा, पीपलिया इस परिवार में श्री संठ उदयचन्दजी के बाद क्रमशः खवचन्दजी बच्छराजजी और साहवचन्दजी हुए । साहवचन्दजी के पुत्र मगराजजी व केशरीमलजी हये । केशरीमलजी के पुत्र प्रेमराजजी सा० हय । प्रेमराज के मद्रास, विल्लीपुरम आदि में व्यापार किया। अभी आपकी फर्म अहमदाबाद में बड़े पैमाने पर चल रही हैं । जोधपुर में भी आपने दुकान खोली है । प्रेमराजजी सा० ने अपने हाथों से लाखों रुपया कमाया । आप सामाजिक-धार्मिक तथा . 1 .. . . . s . Mania.india '' : itati-NCHAMI...IVE ... .. . .:. . . . marr:2 . . . " ..... . .." " .. . . . . .. - . .. . 1 . . .. ... " . . . •.... .. Si ... ... . .' T श्री गणपतराजजी बोहरा सेठ प्रमराजजी बोहरा राष्ट्रीय प्रत्येक कार्य में उत्साह पूर्वक भाग लेते हैं। काफी उदार हैं . शुद्ध बहर धारण करते हैं। आपने समाज की अनेक संस्थायों को सहायता दी प्राप तीन पुत्र हैं-गणपतराजजी मोहनलालजी तथा सम्पनराजजी । अहमदाबाद दुकान का काम श्री गणपतराजजी संभालते हैं। बटुन गुमाल नया दार विग यवक है। प्रत्येक सुधार के काम में याप आगरते हैं। माप दवामान तथा शिक्षण संस्थाओं में काफी खर्च करते हैं । होनहार युवक है। अापके दोनों भाई भी .. व्यापार में आपकी मदद करते है । मूल निवासी पीपलिया मारवाडकर * संठ सरदारमलजी व हजारीमलजी भंसाली सांचार नियामी असार अहमदाबाद के सुप्रनि कपड़ा व्यापारी नमम लामणवामी मंड रामजी नामक फर्म के वर्तमान भागीदार खगाय सह बागमलनी नाक दाना । ww
SR No.010499
Book TitleJain Gaurav Smrutiya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorManmal Jain, Basantilal Nalvaya
PublisherJain Sahitya Prakashan Mandir
Publication Year1951
Total Pages775
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size44 MB
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