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________________ . जैन-गौरव-स्मृतिया * आप ग्वालियर राज्य हरिजन बोर्ड के सदस्य हैं। जो अखिल भारतीय हरिजन .. सेवक संघ के तत्वावधान में राज्य में कार्य करता है। आप मजलिस आम तथा मजलिस कानून के भी सदस्य थे। भेलसे के एस. एस. एल जैन हाई स्कूल के संस्थापकों में से आप एक है। ग्वालियर राज्य में सन १९४७ में उत्तरदायी शासन की स्थापना पर आपको अर्थ विभाग दिया था और मध्यभारत के प्रथम मंत्री मंडल में भी आप अद्य मंत्री नियुक्त किए गये थे। १२ अक्टूबर १९५० को श्राप मध्य भारत के मुख्य मंत्री निर्वाचित हुए हैं। *सेठ चन्दूलालजी खुशालचन्दजी, बम्बई । इस कुटुम्ब के पूर्वजों के सामाजिक, धार्मिक एवं राजनैतिक कार्य आज . भी उनके यशों गाथाओ का गान कर रहे हैं। प्रतिभाशाली और सामान्य इस उदार कुल के ज्येष्ठ पुरुष श्रीमान झवेरचन्दजी चंदाजी शान्त एवं गम्भीर प्रकृति के परमउदार म्वभावी और सेवा भावी सज्जन है। हाल ही में प्राचीनतम तीर्थ हस्तुण्डी राता महावीर जी के जीर्णोद्धार का कारोभार आपने ही वहन कर लगभग चार लाख की गशी व्यय करके जीर्णोद्धारान्तर सुविख्यात जैनचार्य. १००८ श्री विजयवल्लभ सूरीजी के कर कमलों से प्रतिष्ठा सम्पन्न हुई। __ श्री झवेर चन्दजी समाज के अग्रगण्य कार्यकर्ता है और बड़े ही मिलन सार और सरलस्वभावी है । आप वीजापुर मारवाड़ के ग्राम पंचायती खाता के सरपंच एवं जे० पी० हैं आप निम्नलिखित संस्थाओं के कार्यकर्ता एवं सदस्य और लाइफ मेम्बर हैं:-श्री पाच नाथ जैन विद्यालय वरकाणा (मारवाड़) श्री पाश्च नाथ जैन बालाश्रम फालना ( मारवाड़) अ० म. जैन में मूर्ति पूजन काँकन्स-बम्बई, श्री मारवाड़ जैन पारवाड़ संघ सभा इत्यादि अनेक संस्थाओं के कार्यकर्ता है। श्रीमान झवेरचन्दजी व्यवसाय में कुशल होने पर भी हमेशा मंत्रा कार्य .. में ही संलग्न रहते हैं । व्यवसाय सम्बन्धी सर्व कार्य इन लघुधाता श्रीजारी मलजी सा० एवं अन्य भातृगगा श्री मगजजी. श्री उदेचन्दली श्री खमनात आदि पुत्र पोत्रों को सीप राया है। श्री हजारीमली बड़े ही संवा भावी एवं मिलनसार स्वभाव के मन है। श्री हेमराजजी ने राना महावारजी में निजि द्रव्य मे एक पाराम पद धर्मशाला बनवाई है। ★ सेठ भीवराजजी देवीचन्दजी पारव, बम्बई वर्तमान में इस परिवार में भीवराजजी व देनाचन्दजी ये पात्र मेशः . ....मनादि -
SR No.010499
Book TitleJain Gaurav Smrutiya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorManmal Jain, Basantilal Nalvaya
PublisherJain Sahitya Prakashan Mandir
Publication Year1951
Total Pages775
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size44 MB
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