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________________ ७३० है जैन-गौरव-स्मृतियां: सुन्दर जैन मन्दिर एवं श्री जैन कन्या पाठशाला का निर्माण हुआ।" .... मेरठ, शामली, खतौली एवं मुजफ्फर नगर में आपकी फर्म गुड गुल्ला, . श्राढत तथा बैंकर्स का कार्य करती है। ..... :: . : ............ ...... *श्री परमेश्वरलाल जैन 'सुमन', समस्तिपुर . . . . . :. आपका जन्म २० जनवरी सन् १६२० में हुआ। आपके पिताजी का नाम श्री दुर्गाप्रसाद जैन है । शिक्षा आपने इन्टर मिटियेट तक पाई । विशेष साहित्यक योग्यता पर साहित्यालकार की उपाधि प्राप्त हुई... .........: ... : ...........: .. ". सन् १९४२ के आन्दोलन में दामियों की गोली से समस्तीपुर में १४ आदमी, मारे गथे । उनके सम्मान में जो जुलुस निकाला गया उसका नेतृत्व आपने ही किया। इस कारण पुलिस ने आपकी गिरफ्तारी का वारन्ट निकाला । एक वर्ष हिसार वह और अन्य स्थानों में कार्य करते रहे। आप हिन्दी के एक होनहार कवि हैं। वर्तमान में गत तीन वर्षों से सभास्तीपुर. नगर कांग्रेस कमेटी के प्रधान मंत्री . और जिला निर्माण समिति के मंत्री है। पता--जैन-निवास, समस्तीपुप, दरभंगा। *श्री सेठ फूलचन्दजी जैन, इलाहाबाद . .... ...... .७० वर्ष पूर्व लाला पुरुषोत्तमदासजी ने इलाहबाद आकर सर्राफी कार्य प्रारम्भ किया । अपनी व्यापारिक मेधा से इस व्यवसाय में अच्छी सफलता प्राप्त की। आपके मुन्शीलालजी, फूलचन्दजी एवं सुमेरचन्दजी नामक तीन पुत्र हुए। . वर्तमान में फर्म के मालिक लाला फूलचन्दजी जैन हैं। आप मिलनसार धर्मप्रेमी और समाज सेवक सज्जन हैं। आपके ज्येष्ट पुत्र श्री शिखरचन्दजी . वी-कॉम करके फर्म के सञ्चालन में सहयोग देते हैं। इनसे छोटे श्री स्वरुपचन्दजी वी. एस. सी. करके अभी लखनऊ में एम. बी. बी. एस. में अध्ययन कर रहे हैं। आप दोनो वन्धु उत्साही एवं प्रगति शील विचारों के नव युवक हैं। ....... ... ठठेरी बाजार-इलाहाबाद में "पुरुषोत्तमदास सर्राफ" नामक आपकी फर्म पर सोने, चाँदी का व्यवसाय होता है आपका यह परिवार "अग्रवाल" जातिय है । जैन है एवं इलाहाबाद के जैन समाज में अच्छी प्रतिष्ठा है। नोट-मध्य प्रांत व युक्त प्रांत में प्रचारक भेजे गये थे पर उधर महामारी का प्रकोप हो जाने से कुछ ही स्थानों का भ्रमण कर बीच में ही लौट आना पड़ा। अतः इन प्रान्तों के जैन बंधुओं के परिचय परिशिष्ट विभाग में दिये जायेंगे। . .
SR No.010499
Book TitleJain Gaurav Smrutiya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorManmal Jain, Basantilal Nalvaya
PublisherJain Sahitya Prakashan Mandir
Publication Year1951
Total Pages775
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size44 MB
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