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________________ ७१६ जैन-गौरव-स्मृतियाँ. MARHATHKAR NIRHI+KA. ★सेठ डालचंदजी बमहोरा गोटेगाँव (सी. पी.) दिगम्बर समाज के बमहरा गोत्रवाले सेठ दरबारीलालजी के सुपुत्र श्री डाल. चन्दजी ६८ वर्षीय वयोवृद्ध महानुभाव है । हिन्दी साहित्य से आपको बड़ा . प्रेम है एवं साहित्यक कार्यों में समय २ पर आर्थिक योग देकर सफल बनाते हैं। स्थानीय हिन्दी साहित्य समिति के पदाधिकारी हैं । आपके फूलचन्दजी, ज्ञानचन्दजी, भागचन्दजी एवं नेमीचन्दजी नामक चार पुत्र हैं जिनकी आयु क्रमशः ४०, ३०, २६, एवं २२ वर्ष की है। आप चारों बन्धु बड़े उत्साही, मिलनसार और सार्वजनिक कार्यों में भाग लेने वाले हैं । स्थानीय जैनसमाज में आपका परिवार मान्य है । मेसर्स "दरवारीलाल डालचन्द" के नामक आपकी फर्म पर . किराना एवं गल्ले का व्यवसाय होता है। *सेठ चौधरी रतनचंदजी जैन गोटेगाँव ( सी. पी.) गोटे गाँव निवासी वात्सल्य गोत्रोत्पन्न श्री मूलचन्दजी जैन के सुपुत्र श्री रतनचन्दजी जैन का शुभ जन्म सं १९७२ आश्विन वदी १ का है । आपकी बचपन से ही अध्यत्म की ओर विशेष अभिरुचि है । इस विषयक आपका स्वाध्याय खूब है । "अध्यात्म विद्या विशारद" नामक परीक्षा भी उत्तीर्ण हैं । संगीत की ओर भी । आप की पूर्ण अभिरुचि है। शास्त्रीय संगीत आपको अतिशय पसन्द है। श्री रतनचन्दजी के चिमनलालजी रमेशचन्दजी एवं नरेशचन्द्रजी नामक तीन पुत्र हैं जिनकी आयु क्रमशः १३, १०, एवं ४ वर्ष की है । स्थानीय जनसमाज में इस परिवार की अच्छी प्रतिष्ठा है । "श्री मूलचन्द रतनचन्दजैन" नामक फर्म पर वस्त्र एवं बीड़ी के पत्ते का व्यापार होता है। *सेठ दुलीचंदजी बजाज, दमोह . जन्म सं० १९३८ चैत्र वदी १३ । पिताजी लोकमनजी बजाज । दिगम्बर जैन । श्री दुलीचन्दजी चतुर व्यवसायी एवं धर्म सन्बन्धी कार्यो में उत्साह पूर्वक भाग लेने वाले वयोवृद्ध सज्जन है। साधु सन्तो एवं मुनिवरों की सेवा में खूब भाग लेते हैं आपके पुत्र श्री रूपचन्दजी (आयु ३६ वर्ष ) वर्तमान में फर्म का संचालन करते हैं। आप मिलनसार सरल चित्त और उदार महानुभाव है। श्री रूपचन्दजी के चन्द्रकुमारी १० वर्प, सुदर्शन कुमार ६ वर्षे, एवं नखकुमार ३.वर्प नाम तीन पत्र है। मेसर्स "दुलीचन्द रुपचन्द" नाम से गल्ला श्राढ़त लेनदेन एवं माल गुजारी का ..काम होता है । एक आटे की चक्की भी है। ★सेठ गुलाबचंदजी गोयल-दमोह जन्म सं० १९६६ कार्तिक सुदी ८ । पिताजी का नाम सेठ डालचन्दजी। गो सेठ गुलाबचन्दजो मिलन सार व्यवसाय कुशल एवं जन सेवक सज्जन है। ..
SR No.010499
Book TitleJain Gaurav Smrutiya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorManmal Jain, Basantilal Nalvaya
PublisherJain Sahitya Prakashan Mandir
Publication Year1951
Total Pages775
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size44 MB
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