SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 676
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ७१४ जैन-गौरव-स्मृतिया m PANISHATANTHLET . : : बड़े पुत्र श्री राजकरणजी बी० कॉम हैं और महत्वपूर्ण पद पर कार्य कर रहे हैं। लघु पुत्र श्री नरेन्द्रकुमारजी भी सद्गुणी युवक हैं। "अमरचन्द अगरचन्द" नाम से गल्ला, कपास आदि का थोक व्यापार तथा आढ़त का काम होता है। ★सेठ गेंदमलजी देश लहरा, गुडरदेही: - जन्म सं० १६५६ आषाढ़ सुदी ६ । पिता श्री हंसराजजी । अध्ययन काल से ही राष्ट्रीय भावनायें आपके हृदय में थीं । अतः व्यवसायिक जीवन के साथ राष्ट्रीय कार्यों में भी पूर्ण मनोयोग से हिस्सा लेने लगे , सन् ३० के आन्दोलन में आपको कठोर कारावास एवं ५०) जुर्माना हुआ। लेखनी एवं, वक्तृत्व कला एवं रचनात्मकता कार्यों से देश सेवा में संलग्न रहते हैं। :... ग्रामोद्योग प्रचार, मादक पदार्थ निषेध वलिदान प्रथा बंद करवाने इत्यादि कार्यों में ।' आप सर्वदा अग्रणी रहते है । ओसवाल महासम्मेलन के डेपुटेशन में सम्मिलित होकर सी. पी. वरार खानदेश, निजाम हैदरा बाद आदि स्थानों का दौरा किया । सामाजिक कार्यों के लिए संलग्ना पूर्वक कार्य किया । देव आनन्द शिक्षा संघ राजनादगांव। के कार्यों में सहयोग एवं प्रचारादिक कर के शिक्षा प्रचार का कार्य किया । इस प्रकार से देशलहराजी का सामाजिक एवं राजनैतिक कार्य सर्वदा प्रगति शील ही रहा । आपके पुत्र श्री पुखराजजी है और मदनबाई और तारावाई नामक दो कन्यायें हैं। . खादी भण्डार व सब प्रकार के स्वदेशी कपड़ों के आप व्यवसाय करते हैं।' ........ . .. iiiiandnaturdasti L ★सेठ मंगलचंदजी सिंघवी-नरसिंह पुरा (सी० पी० ) सिंघवी गोत्रोत्पन्न श्री सेठ दयाचन्दजी के सुपुत्र श्री मंगलचन्दजी राष्ट्रीय विचारों के जन सेवक । गोटे गोव की म्युनिसिपल कमेटी के चेयरमेन पद पर रह कर आपने आदर्श जन सेवा की । वर्तमान में नगर कांग्रेस कमेटी के मंत्री एवं "जनपंथ सभा के" मेम्बर हैं। आप ५० वर्षीय हैं फिर भी सार्वजनिक कार्यों में। नवयुवकों का सा उत्साह रखते हैं । आपके पूज्य पिता श्री भी गोटे गांव के प्रमुख कांग्रेस कार्य कर्ताओं में से हैं और कई बार जेल यात्रा भी कर आये हैं ।: .
SR No.010499
Book TitleJain Gaurav Smrutiya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorManmal Jain, Basantilal Nalvaya
PublisherJain Sahitya Prakashan Mandir
Publication Year1951
Total Pages775
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size44 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy