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________________ जन-गौरव-स्मृतियां ६६१. ही समाज ने अलंकृत किया था। जलगांव के० ई० एम० हॉस्पीटल को आपने १० हजार रुपये देकर नींव पक्की की। अपनी ५ हजार की जीवन की पालिसी आपने घाटकोपर संस्था बंबई को प्रदान की । सन् १९२० में आपको ब्रिटिश सरकार ने रायसाहेब की पदवी से सन्मानित किया और आपको बेंच मेजिस्ट्रेट का भी कार्य सौंपा गया । संवत् १६८१ में पूज्य श्री १००८ श्री जवाहरलाल जी महाराज सा० का ३३ वाँ चातुर्मास जलगांव में हुआ जिसका सारा कार्य संचालन अपने यहां के स्थानिक श्री संघ की मदद से किया और रु० ३० हजार का खर्च भी आपने ही किया । जल गांव ओसवाल जैन बोर्डिग की स्थापना भी आपने ही की थी। आपकी फर्म यहां के भगीरथ स्पिनिंग विव्हिग मिल्स के सोल अजेन्ट भी थी। आप अपनी ७१ वर्ष की अवस्था में ता० ७.३-४८ ई० -यह लोक छोड़कर स्वर्गवासी हुवे । आपके श्री गंभीरमलजी नामक एक सुपत्र है। - - स्व० सेठ लक्ष्मणदास जलगांव - सेठ गम्भीरमलजी, जलगांव सेठ गंभीरमंलजी का जन्म पालखेड़ा में ता०२१-२- १६-२५ हुआ । अपनी फर्म का विस्तृत कार्य कुशलता पूर्वक चला रहे हैं । आप भी अपने पिता श्री की तरह सार्वजनिक कार्यों में मुक्त हस्त से हमेशा मदद देते रहते हैं। आपने यहां की मूलजी जेठा कॉलेज को रू. १५०० प्रदान किये साथ ही साथ बोदवड की जैन माडिंग को भी रू० ११०. उसके उदघाट पर दिये है । आपके बड़े पुत्र रमेशचन्द्र उनकी केशर तुला सन १६४६ में रु. १००० की चढ़ाई । आपके रमेशचन्द्र व . राजेन्द्रचन्द नामक २ पुत्र हैं एवं प्रभावती देवी नामक कन्या है। आपका व्यापारिक
SR No.010499
Book TitleJain Gaurav Smrutiya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorManmal Jain, Basantilal Nalvaya
PublisherJain Sahitya Prakashan Mandir
Publication Year1951
Total Pages775
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size44 MB
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