SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 636
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ जैन-गौरव-स्मृतियां । PrimeHARANHeadNetwork आप प्रारम्भ से ही बड़े अध्यवसायी, साहसी और मेधावी रहे हैं। आपकी विलक्षण बुद्धिमता से इस फर्म ने काफी व्यापारिक उन्नति की । सन् १९१२ में उज्जैन में "विनोद मिल्स लिमिटेड" नामक एक कपड़े की मिल की स्थापना हुई। जो आज मालवे की प्रमुख मिलों में से है । मजदूरों की सुविधा के लिये एक बहुत बड़ा अस्पताल भी. है । मजदूरों के घरों पर निशुल्क रोगी देखने के लिये डाक्टरों की भी सुन्दर व्यवस्था है। . . . . . . . . . . . . .... ... .. इस फर्म की ओर से श्री छतरपुर स्टेशन के पास एक धर्मशाला बनी हुई है। राजगृह, आबूजी, सोनागिरी, सिद्धवरकूट, पावापुरी आदि तीर्थ देशों में भी । आपकी ओर से धर्मशालाएं बनी हुई है। . . . . . . . . . . . .... 'सेठ लालचन्दजी, विनोद मिल्स कं, लि. के मैनेजिंग डावरेक्टर तथा चैयरमैन हैं। दी हुकमचन्द मिल्स इन्दौर, दी ग्लोरी इंश्युरेस कं. लि. इन्दौर, दी वल्कन इंन्युरेश कं. लि. बम्बई, मशीनरी पेंटर्स एण्ड केमीकल्स इंडिया लि. : बम्बई आदि उद्योगों के आप डाइरेक्टर हैं। ... . ... ... : सन् १९१६ में आप अ. भा. खंडेलवाल दि. जैन महा सभा के सभापति रहे हैं । म्यूनिसिपल बोर्ड उज्जैन, दी काटन मचेंट्स एसोसियेशन, विक्रम एज्युकेशन ट्रस्ट, युवराज जनरल लायब्ररी आदि संस्थाओं के सभापति तथा दी.. फारवर्ड काटन एसोसियेशन, दी चेम्बर आफ कामर्स उज्जैन व मध्यभारत हिन्दी : साहित्य समिति इन्दौर... आदि संस्थाओं के आप उप सभापति हैं । दिगम्बर जैन . मालवा हिन्दी साहित्य समिति झालरापाटन के प्रधानमंत्री व प्रमुख कार्यकर्ता हैं । ★डाक्टर श्री राजमलजी नांदेचा, इन्दौर . . . . . . . ... ......... आप पिपलोंदा में चीफ मेडिकल व हैल्थ आफीसर तथा जेल सुपरिन्टेन्डेन्ट रह चुके हैं। जैन पाठशाला के अध्यक्ष भी । रह चुके हैं धार्मिक प्रवृत्तियों में अच्छा रस लेते हैं । आपके पिता श्री का नाम नेमीचन्दजी है। आपके यशपाल व हेमन्त नामक दो पुत्र हैं । इस समय इन्दौर के एएटीमलेरिया आफिसर हैं व इसके पूर्व सेन्ट्रल गवरमेण्ट की रेजिडेन्सी इन्दौर में रेसिडेन्सी अस्पताल में असिस्टेण्ट मेडिकलं आफिसर एवम् असि० हेल्थ आफिसर रह.. चुके हैं तथा किंग एडवर्ड हास्पिटल मेडिकल स्कूल में मेडिकल के विद्यार्थियों एवम् नर्सेज को पढ़ाते थे। . . . . . . . .
SR No.010499
Book TitleJain Gaurav Smrutiya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorManmal Jain, Basantilal Nalvaya
PublisherJain Sahitya Prakashan Mandir
Publication Year1951
Total Pages775
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size44 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy