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________________ जैन-गौरव-स्मृतियों watertainmentedindia आपके कुन्दनमलजी नामक पुत्र बड़े होनहार थे किन्तु अल्पवस्था में ही उनका स्वर्ग . वास हो गया। वर्तमान में कुछ पदमचन्दजी तथा विमलचन्दजी नामक दो पुत्र तथा कुन्दनमलजी के पुत्र नवीनचंदजी प्रपोत्र हैं। ..... कु० पदमचंदजी होनहार युवक है तथा व्यापार में सहयोग करते हैं। बाकी पढ़ रहे हैं। आपके भ्राता सेठ धन्नालालजी भी एक धर्म व शिक्षा प्रेमी सब्जन हैं। आप दोनों भाइयों का धर्म की ओर अच्छा लक्ष्य है । दिगम्बर जैन मंदिरों में जिन प्रतिमा प्रतिष्ठ तथा अन्य सहायता कार्यों में हजारों रुपये प्रदान किये हैं और करते रहते हैं। ... ... *श्री मानमल जैन "मार्तण्ड," अजमेरः----... लेखक, सम्पादक, व पत्रकार । जन्म प्राषाढ़ शुक्ला ६ सं १९७८ । पिसा-श्री धूलचन्दजी डूंगरवाल ओसवाल । जन्मभूमि-छोटीसादड़ी (मेवाड़)। यहीं जैन गुरुकुल ... में शिक्षा । सन १६३७ में अजमेर आगमन ..... सन १६४०-४६ तक अ० सा० ओसवाल RESEREE महा सम्मेलन के मुख पत्र 'ओसवाल' ... का सम्पादन । १६४१ में बालोपयोगी मासिक पत्र "वीरपुत्र" का निजि प्रका-: शन । १६४२ के स्वातंत्र्य आन्दोलन में .:. जेल यात्रा । १६४४ में राजपूताना पत्रकार सम्मेलन के मंत्री । सन् १९४६ में 'वीरपुत्र' सप्ताहिक का प्रकाशन व बालोपयोगी.. पुस्तकों का लेखन व प्रकाशन । १६४७ में 'वीरपुत्र प्रिन्टिग प्रेस' नामक निजि प्रेस की स्थापना । "वीरपुत्र" का दैनिक संस्करण भी कुछ समय तक प्रकाशित किया । ओसवाल प्रगतिशील दल की स्थापना द्वारा समाज में संगठन आन्दोलन । १६४६ की जयपुर काँग्रेस में .... .. भामाशाह उपनिवेप तथा ओसवाल समाज . संगठन सम्मेलन का आयोजन । सन् ५० में 'जैन साहित्य मन्दिर' नाम से जैन -साहित्य प्रकाशन का कार्यारम्भ व 'जैन गौरव स्मृतियां' ग्रन्थ लेखन । सन् १९५० लोक सभा अजमेर के मंत्री रुप में सार्वजनिक कार्य । कई वर्षों से जैन पुस्तकालय के मंत्री । अजमेर इलेक्ट्रीक कन्जूमर्स एसोसियेशन के मंत्री । .. .. RE.. Fr.. ...
SR No.010499
Book TitleJain Gaurav Smrutiya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorManmal Jain, Basantilal Nalvaya
PublisherJain Sahitya Prakashan Mandir
Publication Year1951
Total Pages775
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size44 MB
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