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________________ २.Relee ". - - ... . . E . . . ---- ५31 518 ... . जैन-गौरव-स्मृतियों 中长长长长长长长长中中中中中中中中中中中中中中中中中** *सेठ केवलचन्दजी चौपड़ा सोजत सिटी र सेठ गोपालचन्दजी के पुत्र केवल चन्दजी अति उदार महानुभाव है। आपके सहयोग से श्री जैनेन्द्रज्ञान मन्दिर सिरि थारी, श्री गौतम गुरुकुल सोजत, श्री उम्मे दगौशाला सोजत, श्री जीव दया बकरा शाला सोजत आदि संस्थाएवं अच्छी . प्रगति कर रही है। आपने स्थानीय समाज के सहयोग से विशाल धर्मशाला तथा स्थानकजी का निर्माण कराया । कांठा प्रान्त में आपको धर्मवीर की पदवी से विभूपित किया। आपके छोटे भाई श्री फूलचन्दजी एक उदार और धर्मिष्ठ युवक हैं। बम्बई में 'मेघराज वस्तीमल' के नाम से आपका बहुत बड़ा व्यापार होता है।-_ सेठ हस्तीमलजी सुराणा पाली मारवाड़ श्री सेठ वस्तीमलजी के दत्तक पुत्र है । आप की आयु ४६ की है । आपका एवं आपके लघु भ्राता केशरीमलजी का व्यवसाय सम्मिलित रूप में है। पाली में " मेसर्स फतेचन्द मूलचन्द" के नाम से वस्त्र उन तथा कमीशन एजेण्ट का काम होता है । जोधपुर में मूलचन्द वस्तीमल के नाम से एकां बम्बई में जैनारायण हस्ती मल" के नाम से आपकी दुकाने है। श्री सेठ हस्तीमलजी उदार मना एवं धर्मनिष्ट महानुभाव है । स्थानीय समाज में आपका परिवार प्रतिठित और मान्य है । तार का पता-हस्ती। ★सेठ किशनलालजी, सम्पतलालजी लूणावत् फलौदी श्री किशनलालजी का जन्म सं १३२१ में हुआ । तनसुखदासजी लूणावत के दत्तक गये हैं। आपने अपने जीवन में लगभग ४॥ लाख रुपये धार्मिक कार्यो में लगाये । सं १९७४ में आपने पाली से कापरड़ा तीर्थ का संघ आचार्य नेमि विजय के उपदेश से निकाला । फलौदी में एक विशाल धर्मशाला और देरासर वनवाया तथा. आचार्य नितिविजयजी से उपाध्यान कराया । आपके पुत्र सम्पतलालजी का जन्म १६७० में हुश्रा)-श्री सम्पतलालजी मिलनसार सहृदय एवं उदारदिल सज्जन है' । धार्मिक व सामाजिक कार्यों में पूरी दिल चस्पी रखते हैं। पाली में किशन लाल सम्पतलाल" के नाम से गिरवी व व्याज का धन्धा होता है। श्री सभवनाथ जैन पुस्तकालय के नाम से जैन साहित्य का प्रकाशन व पुस्तक विक्रय भी करते हैं। पिता पुत्र परम उदार है ।
SR No.010499
Book TitleJain Gaurav Smrutiya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorManmal Jain, Basantilal Nalvaya
PublisherJain Sahitya Prakashan Mandir
Publication Year1951
Total Pages775
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size44 MB
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