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________________ नगौरव स्मृतियां ....... M eetinAmAvinalitAAAAMKARANA S. CE श्री सेठ कुन्दनमलजी सेठिया सुजानगढ़ (बीकानेर) ... श्री रूपचन्दजी के सुपुत्र । श्रायु वर्ष" वालल्यकाल से ही आपकी प्रवृत्ति व्यापार की ओर । स्वल्प समय में ही अलछी.... सफलता प्राप्त कर प्रतिष्ठित हुए। शिक्षा.. प्रसार की ओर . विशेष लक्ष्य । गांधी पालिका विद्यालय के मन्त्री हैं। ..' चम्पालालजी, केशरीचन्दजी, एवं: मदनचन्दजी नामक तीन पुत्र हैं। जिनकी. आयु क्रमशः ३८, ३५ एवं २४ वर्ष है। तीनों : वन्धु उदार प्रवृत्ति के मिलन सार एवं... उत्साही संजन है । कलकत्ते में "सेठिया बादर्स' ५६ नेताजी सुभाष रोड पर फर्म है। चिटगांव में शाखा है। जूट का विशाल पैमाने पर व्यवमाय होता है। ... सेठ जयचंद लालजी दफ्तरी, सरदार शहर सं० १६६४ पौष कृष्णा में रवि को शुभ जन्म । सं० १९८६ में "हुल्लासचन्द मुन्नालाल" के नाम से अपने मामाजी की सीर में वस्त्र व्यवसाय किया। कुछ हीसमय में व्यापार विशाल पैमाने पर चल निकला और कलकत्त के प्रतिष्ठित श्री मन्तों की गणना में आगए । सरदार शहर में "जयचन्दलाल दस्तरी" के नामः से मोने चांदी के पाढत का काम विशाल पैमाने पर शुरू क्रिया एवं जोधपुरर, धाकानेर. भटिएडा आदि स्थानों पर फर्म की शाखायें स्थापित की। अप धार्मिक तथा सामाजिक समस्त मार्वजनिक कार्यों में तन, मन व धन में सक्रिय महायता देते रहते है । "सरदार शहर सेवा समिति के मंत्री र आपने सरदार शहर की जो सेवायें की. उनसे जनता बड़ी प्रभावित है और आप कोपा लोक त्रिय बंप गये। बीकानेर के सिविल सप्लाईज के मिनिस्टर ने आपकी जन संग से प्रभावित होकर प्रापको प्रशंसात्मक धन्यवाद सूचक पत्र लिखा मर' कारकी जंग एवंनतर का जन हितकारी संस्थाओं के सदस्य एवं माननीय P श्राप तर पंधी जनसमाज के श्रागवान कार्य कत्तयों में से है. साहित्य नाशन कार्य में ही नि हैनी हेतु 'आदर्श साहित्य संघप्रकाशन संस्था का
SR No.010499
Book TitleJain Gaurav Smrutiya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorManmal Jain, Basantilal Nalvaya
PublisherJain Sahitya Prakashan Mandir
Publication Year1951
Total Pages775
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size44 MB
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