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________________ ६०१ sweerNKHNAAMKA जैन-गौरव-स्मृतियां : , .. - श्री सेठ घेवरचन्दजी सिपाणी (बीकानेर) श्री.सेठ माणकचन्दजी सत्य निष्ठ, कठोर ब्रह्मचर्य के पालक एवं सिद्धान्तों पर अडिग रहकर कर प्रामाणिकता से काम करने वाले धार्मिक श्रावक थे । आपके पुत्र श्री घेवरचन्दजी का जन्म सं. १६६३ फाल्गुन शुल्का पूर्णिमा का है । आप भी अपने पिता श्री की मांति धार्मिक प्रवृति के सज्जन है। प्रारम्भ में घेवरचन्दजी ने कलकत्ते में मनीहारी का काम प्रारम्भ किया एवं अच्छा विस्तृत कर लिया परन्तु महा युद्ध के झंझटों के फल स्वम्प आप बीकानेर चले आए और "घेवरचन्द सिपाणी" के नाम से जनरल मर्चेण्ट का काम शुरु किया एवं . .. अच्छी सफलता से कर रहे हैं धार्मिक कार्यो में आपकी बड़ी मचि है । जवाहर किरणावली का ५५ वां भाग आर्थिक सहा यता प्रदान कर छपवाया और अर्ध मूल्य में वितरित कराकर अपने अद्वितीय साहित्य प्रेम का परिचय दिया और भी शुभकार्य श्रापके द्वारा हर है। श्री भंवरलालजी और पन्नालालजी नामक श्राप दो पुत्र बड़े ही योग्य और मिलनसार युवक हैं। सेठ मगनलालजी गणेशलालजी कोठारी. बीकानेर यह परिवार बीकानेर का एक प्रतिष्टि प्राग्य श्रीमंत परिवारों में से है। इनमें सेठ किशनचन्दजी एक धर्मनिष्ठ सज्जन हुए । अापके मगनमलजी नामक पुत्र हुए। सेठ मगनमलजी:----आपका जन्म वि.सं. १६२ पाप शुल्का १४ था। प्राए बीकानेर स्थानकवासी जैन समाज के एक सागवान प्रतिष्ठित व्यक्ति थे। श्राप जैन श्वे स्थानकवासी जैन समा कलकत्ता तथा जैन हितकारिणीनमा बीकानेर के सभापलि बादन प्रम नक रहे । वि.सं. २०६फागन नदीको बीकानेर में : देहावसान पा । धाप, ५ पुत्र है ट गणेशीलालजी. गोपालचन्दजी ....सोहनलालजी तथा शिमरचन्दजी। सेठ गोशलालजी का जन्म वि. सं. १६५ मिगमरवड़ीठ गोपाल. . __ पन जी का जन्म १६५६सेठ मोहनलालजी का जन्म ५.. नया शिवरचन्दजी .. फा जना १६६१ कार्तिक शुक्ला १४ का।
SR No.010499
Book TitleJain Gaurav Smrutiya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorManmal Jain, Basantilal Nalvaya
PublisherJain Sahitya Prakashan Mandir
Publication Year1951
Total Pages775
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size44 MB
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