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________________ जैन-गौरव-स्मतियां आप बीकानेर के प्रतिष्ठित श्रीमंत हैं । इस परिवार में सेठ अमीचन्दजी एक धार्मिक व ख्याति प्राप्त सज्जन हुए हैं । आपके लाभचन्दजी गोद आये । आप? भी बड़े प्रतिष्ठित रहे हैं । आपके ३ पुत्र हुए श्री जीवनमलजी, श्री चम्पालालजी तथा श्री ज्ञानचन्दजी । प्रथम दो स्वर्गस्थ हैं। श्री ज्ञानचन्दजी:-आप एक सुविचारवान सज्जन हैं । आपका जन्म वि० सं० १०५६ पौष शुल्का ३ का है आपका सार्वजनिक जनहित कार्यों की ओर अच्छा लक्ष्य है | आपकी ओर से एक बृहत औषधालय "ज्ञानचन्द मगनमल : औषधालय, के नाम से जनता की अच्छी सेवा कर रहा है । कलकत्ता १५८ सूतापट्टी लेन में लाभचन्द रतनचंद के नाम से व्यापार होता था अब सं० २००५ से "जीवनमल ज्ञानचन्द" के नाम से कपड़े का व्यापार विशाल पैमाने पर होता है । जिसकी देख रेख आपके पुत्र श्री सुमतिचन्दजी करते हैं । आपके ४ पुत्र हैं-श्री रतनचन्दजी, सुमतिचंदजी, कान्तिचंदजी तथा शांतिचंदजी । जिनमें से रतनचन्दजी व सुमतिचन्दजी व्यापार की देख रेख करते हैं। *सेठ गोविन्दरामजी भंसाली, बीकानेर आप बीकानेर के प्रति के. ष्टित सज्जनों में से हैं । .आपका जन्म वि. सं. १६३५ का हैं । आपके पिताजी का . नाम सेठ देवचन्दजी था । आपका "प्रतापमल गोविराम" के नाम से खेंगरा पट्टी स्ट्रीट कलकत्ता में रंग और पेटेण्ट दवाइयों का व्यवसाय विशाल पैमाने पर होता है। बीकानेर में भी भैंसाली स्टोर्स के नाम से रंग और पेटेण्ट दवाइयों की आप की दुकान सुप्रसिद्ध है। वर्तमान में व्यवसाय . की देख रेख आपके सुपुत्र .... भीखमचन्दजी करते हैं। श्रीगोविन्दरामजी आज सेठ गोविन्दरामजी भंसाली, बीकानेर कल व्यवसाय आदि से निवृत sx HSS .ASE Ly . .. ' PER का . . . 51
SR No.010499
Book TitleJain Gaurav Smrutiya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorManmal Jain, Basantilal Nalvaya
PublisherJain Sahitya Prakashan Mandir
Publication Year1951
Total Pages775
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size44 MB
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