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________________ जैन-गौरव-स्मृतियाँ . अमरेला को ३० हजार तथा मेहता पारख हाई स्कूल. को १० .. हजार प्रदान । किया। कन्तवा स्मृति फंड में ११ हजार संग्रहित करवाये और जिसमें २॥ . हजार खुद ने दिये। राष्ट्रपति राजेन्द्रप्रसाद और सरदार वल्लभ भाई पटेल को थैलियां भेंट में की जिनमें आपने अपनी ओर से बड़ी मात्रा में । अर्थ राशी दी। ... . .. .... . ..........: :... आपने अपनी ५४ वी वर्षगांठ पर २४ नवम्बर १९४५. में एक लाख ... रुपये की सम्पत्ति का एक धर्मार्थ ट्रस्ट स्थापित किया, शिक्षाकार्यों में तथा समाज सेवा में श्रापकी थैली हमेशा खुली रहती है। .. इस प्रकार से आप एक महान, उद्योगपति दानवीर और जैन समाज के बागेवान श्री मन्त है। पता-नरभराम एन्ड कं. लि. जमशेदपुर वाया टाटानगर *श्री हेमचन्द राम जी भाई मेहता, भावनगरं - २१ नवम्बर सन् १८.३ ई. को. मौरथी काठियावाड़ में दशा. श्री माली मुदुम्न में श्री हेमचन्द भाई का जन्म हुआ इन्जीनियरिंग ग्रेज्युएट की अन्तिम .. ..... .. ." . ' . .. . Ka . viะนี้ - . .. AN T - pround A RE ..".. VOI - श्री हेमचन्द भाई .. श्रीमती नवल गौरी बहिन .. परीक्षा १६०६ में पास की। बाद में ३५ वर्ष तक ग्वालियर, बडौदा, मौरवी, कच्छ .. सुया मावनगर स्टेट की जवाबदारी पूर्ण सेवा के बाद सन् १६४२ में रिटायर हुये।
SR No.010499
Book TitleJain Gaurav Smrutiya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorManmal Jain, Basantilal Nalvaya
PublisherJain Sahitya Prakashan Mandir
Publication Year1951
Total Pages775
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size44 MB
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