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________________ जैन-गौरव-स्मृत्तियों ... . . . .... ... .... THE sin ५. महावीर पुस्तकालय के आप संरक्षकों में है । जैन नवयुवक समिति के सभा पति और मारवाड़ी ट्रेडर्स एशोसिएशन के मन्त्री थे. अभी उसके सभ्य है। मारवाडी रिलीफ सोसायटी की रसायशाला के श्राप वर्षों तक मन्त्री रहे है । और १९४६-४७ में दो वर्षों तक सोसायटी के प्रधान मन्त्री तथा याद में तीन वों तक उप सभापति रहे । सन् १९४७ में सपत्नीक इंगलैंड, फ्रान्स, अमेरिका फिजी श्रास्ट्रेलिया और जावा आदि देशों में भ्रमण कर पृथ्वी प्रदाक्षरिणा की! प्राकृतिक चिकित्सा पर आपका अटल विश्वास है। पिछली वार तीन छात्रवृत्तियां प्रदान की थी. और मारवाड़ी रिलीफ सोसाईटी में महात्मा गांधी की राय से प्राकृतिक चिकित्सा विभाग खुलवाया, जो अभी तक सेवा कार्य का रहा है। साहित्यकता के नाते धर्मचन्दजी और भी अधिक प्रसिद्ध है। *श्री सेठ नरभेरामजी हंसराजजी कामानी, जमशेदपुर । आपका शुभ जन्म धारी ( काठियावाड़) में २५ नवम्बर १८६२ में हुआ । यही पर प्रारम्भिक शिक्षण प्राप्त कर १६१४ में जमशेदपर आए और साधारण व्यापार प्रारम्भ किया । अपनी अनुपम योग्यता से धीरे धीरे अच्छी उन्नति कर सन् १९२६ में मोटर का व्यवसाय प्रारम्भ किया । सन् • १६३० में अपने नरभेराम एन्ड क. लि. की स्थापना की । इम कंपनी के श्राप ही मैनेजिंग डायरेक्टर हैं। आपने अपने जीवन में व्यवसायिक कार्यों में अतिशय उन्नति की। आप भारत के एक प्रमुख श्रीमन्त व्यवसायी है। साथ ही साथ श्राप बरे दानवीर सजन . भी है अमरेली में १० हजार की लागत से जैनियों लिये नदिक का इलाज कराने का एक विशाल .. सेनोटेरियन इनाया ! पापने व 'मापक भाइयों ने मिलकर नवोटिता। १. . .. .. . ... ..
SR No.010499
Book TitleJain Gaurav Smrutiya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorManmal Jain, Basantilal Nalvaya
PublisherJain Sahitya Prakashan Mandir
Publication Year1951
Total Pages775
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size44 MB
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