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________________ H जैन-गौरव-स्मृतियाँ e remonetahik चन्द्र धर्मार्थ औषधालय, जामनेर एग्रिकल्चर फर्म, केटल ब्रिडिंग फर्म, इत्यादि अनेकानेक सार्वजनिक संस्थाओं को स्थापित करने में या उनकी व्यवस्था करने में आपने प्रधान रूप से भाग लिया है। आपके हृदय का प्रत्येक परमाणु जातीय सेवाओं की भावना से श्रोतप्रोत है । आप ही की प्रेरणा व सहयोग पर श्री अ. भा० ओसवाल महासम्मेलन की नींव पड़ी । सन १६३६ में हुए मन्दसौर अधिवेशन के आप सभापति रहे । आपके सभापतित्व में जातिसंगठन व जातीय भेदभाव . नष्ट करने के महत्वपूर्ण प्रस्ताव व कार्य हुए। समस्त जैनसमाज की एकता के लिए आप सतत प्रयत्नशील रहते हैं। श्री भारत जैनमहामंडल के भी आप प्राण हैं। वर्धा अधिवेशन के आप ही सभापति थे। तथा १६४६ में आपने उसका अधिवेशन जामनेर में करवाया। जलगांव के सार्वजनिक हाईस्कूल तथा फ्रट सेलसोसायटी के वर्षों तक सभापति रहे । खानदेश एज्युकेशनल सोसायटी के ३० वर्ष से सभापति हैं। - आपकी राष्ट्रीय सेवायें भी परम प्रशंसनीय रही हैं। आप सदा एक परम देशभक्त रहे हैं। फैजपूर कांग्रेस के आप कोषाध्यक्ष थे। सन् ४४ में आप महाराष्ट्र की ओर से धारासभा के सदस्य (M. L. A.) निर्वाचित हुए। आप सदा से ही स्वतन्त्र विचार पोषक रहे है। असेम्बली में सर्व प्रथम हिन्दी में भाषणकर्ता आप ही रहे। आपका जामनेर में लक्खीचन्द रामचन्द' के नाम से बैंकिंग में कृषि का काम होता है । तथा जलगांव दुकान पर भी बैंकिंग का व्यापार होता है। कामनवेल्थ इंश्युरेन्स कं. पना बैंक आफ नागपुर, भागीरथ मिल्स जलगांव, लक्ष्मी नारायण मिल्स चालीस गाँव के डायरेक्टर रहे हैं। अभी अपलिफ्ट ऑफ इण्डिया के डाइरेक्टर रहे हैं। * साह श्री शीतलप्रसादजी जैन-दिल्ली नजीमावाद ( मेरठ) के प्रसिद्ध साहू वंश में श्री साहू रामस्वरूपजी जैन के घर सन् १९२१ में आपका शुभ जन्म हुआ । मेरठ कालेज और लखनऊ विश्वविद्यालय से शिक्षा ग्रहण करने पश्चात् आपने व्यवसायिक क्षेत्र में पदार्पण किया। अपनी दूरदर्शिता बुद्धिवलक्षण्य एवं तीक्ष्ण दृष्टिकोण के कारण स्वल्पसमय में ही व्यवसायिक जगत् में अपना विशिष्ट स्थान चना लिया । व्यवसायिक क्षेत्र के हर महत्त्वपूर्ण पद पर कार्य कर, अपनी प्रतिभा का परिचय दे रहे हैं । “बनेट कोलमेन कम्पनी लि. टाइम्स ऑफ इण्डिया, एवं नवभारत और इलस्ट्रिट वीकली' के मैनेजिंग डायरेक्टर है । "अलेन बरी एन्ड कम्पनी लि." के चेयरमैन, गावन ब्रदर्स ALAN
SR No.010499
Book TitleJain Gaurav Smrutiya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorManmal Jain, Basantilal Nalvaya
PublisherJain Sahitya Prakashan Mandir
Publication Year1951
Total Pages775
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size44 MB
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