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________________ * जैन-गौरव-स्मृतियां टा . संक्षिप्त किया गया और एक सूत्र का दूसरे सूत्र में अतिदेश किया गया। इसीलिए उपांगों का अतिदेश अगों में भी पाया जाता । वर्तमान में आगम . ग्रन्थ उपलब्ध हैं उनका अधिकांश स्वरूप इसी समय में स्थिर हुआ। इसी समय में देवर्द्धिगणि ने नन्दीसूत्र की संकलना की । इसमें सब ... आगमों की सूची दी है । इसको देखने से प्रतीत होता है कि इस पुस्तकालेखन के बाद भी कई आगम विनष्ट हुए हैं। नन्दीसूत्र में प्रश्नव्याकरण ।। अंग का जैसा वर्णन किया गया है उसे देखते हुए यह प्रतीत होता है कि. ... उपलब्ध प्रश्नव्याकरण बाद की नवीन रचना है । बालभी वाचना के बाद . . यह अंग कब नष्ट हो गया और कब नवीन जोड़ा गया यह कुछ नहीं कहा .. जा सकता । यह कहा जा सकता है कि अभयदेव की टीका, जो कि बारहवीं .. शताब्दी के प्रारम्भ की है-उसके पहले कभी इसकी रचना हुई है इस तरह नन्दी की सूची में दिये गये कई आगम भी नष्ट हुए हैं। आगमों की टीकाएं आगमों पर प्राकृत और संस्कृत भाषा में टीकाएँ लिखी गई है। प्राकृत भापा में की गई टीकाएँ नियुक्ति, भाष्य और चूर्णि के नाम से प्रसिद्ध है। नियुक्तियाँ और भाष्य ‘पद्यमय हैं और चूर्णियाँ गद्यमय । नियुक्तियों के रचयिता श्रीभद्रबाहु हैं। कोई २ यह मानते हैं कि नियुक्तियों .. के रचयिता श्रुतकेवली श्री भद्रबाहु हैं जब कि किन्ही का मन्तव्य है कि ये भद्रबाहु द्वितीय, जो विक्रम की पाँचवीं या छठी शताब्दी में हुए हैं- के द्वारा निर्मित है। भद्रबाहु ने आचारांग, सूत्रकृताङ्ग, उत्तराध्ययन, दश वैकालिक, दशाश्रुतस्कन्ध, कल्प, व्यवहार, आवश्यक, सूर्यप्रज्ञप्ति और ऋपिभाषित पर नियुक्तियाँ वनाई हैं। इसके अतिरिक्त पिण्डनियुक्ति और ओपनियुक्ति भी इन्हीं की रचना है। आगमों के विषय को पूर्णतया स्पष्ट करने के लिए भाष्य लिखे गये ... हैं। श्री संघदास गणी और जिनभद्र प्रसिद्ध भाष्यकार हुए हैं। श्री संवदास गणी ने वृहतत्कल्प भाष्य और श्री जिनभद्र ने विशेषावश्यक भाष्य लिखा है। इसमें आगमिक तत्वों का तर्कसंगत विवेचन किया गया है । दार्शनिक चर्चा का ऐसा कोई विषय नहीं जिस पर जिनभद्र ने न लिखा हो। इनका समय सातवीं शताब्दी हैं।
SR No.010499
Book TitleJain Gaurav Smrutiya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorManmal Jain, Basantilal Nalvaya
PublisherJain Sahitya Prakashan Mandir
Publication Year1951
Total Pages775
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size44 MB
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