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________________ H SSE* जैन-गरव-स्मृतियां ★ आते रहे । नागपुर के देश प्रसिद्ध झण्डा सत्याग्रह में आप जेल गये और सन् ३० के आन्दोलन में भी। नागपुर के श्री. पूनमचन्द जी रांका पुराने देशभक्त और स्व० महात्मा गांधी के प्रियजनों में से हैं। आपने सन् २० के सत्याग्रह संग्राम से स्वराज्य .. मिलने तक ६-७ बार जेल यात्रायें की। अपनी निजी धन-राशी का उल्लेखनीय भाग भी आपने देशसेवा के कामों में लगाया है। राष्ट्रतपस्वी रांका जी की धर्मपत्नी श्रीमती धनवती बाई रांका भी देश के स्वातंत्र्य संग्राम में जेल हो आई हैं और कांग्रेस के रचनात्मक कार्यों में भाग लेती हैं। जामनेर के सेठ राजमल जी ललवाणी को नाम भी देशभक्तों में मुख्य है । अमरावती के श्री रघुनाथमल कोचर भी सन् ३२ से कांग्रेस का कार्य करते रहे और सन् ४१ के आन्दोलन में दो दो बार जेल गये। धामन गाँव के श्री सुगनचंदजी लूणावत भी कई बार जेल गये और अपनी देश भक्ति के लिए प्रसिद्ध हैं। . .. जैन समाज के राष्ट्र-गौरव व्यक्तियों में अहमदनगर के श्री कुन्दनसलजी फिरोदिया का विशिष्ट स्थान है । श्री फिरोदिया जी सन् १६ से कांग्रेस के साथ रहे हैं । सन् ४० के व्यक्तिगत सत्याग्रह में ६ महीने और सन् ४२ की शान्ति में २१ महिने का कारावास आपको मिला। .... राष्ट्र-भारती की अर्चना में अपना जीवन उत्सर्ग करने वाले जैन । युवक-युतियों की कमी नहीं है । यदि सबके केवल नाम मात्र भी गिनाएँ जाँय तो एक बड़ा ग्रन्थ तैयार हो सकता है। हमने ऊपर खिचड़ी के कुछ चाँवल. नमूने के तौर पर सन् ४२ के आन्दोलन में से ही कुछ चरित्र प्रस्तुत किये हैं। प्रच्छन्न क्रान्तियुग का प्रारम्भिक आभास भी छाती फुला देने वाला है। जैन-वीरों ने राष्ट्र की आजादी के लिये अपना तन, मन और धना सब कुछ दिया । जैन युवक और युवतियाँ स्वातंत्र्य संग्राम में झूझी। . वह भी एक निराला इतिहास होगा काश ! यदि कोई इन शहीदों की कुरवानियों को लेखबद्ध करे।
SR No.010499
Book TitleJain Gaurav Smrutiya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorManmal Jain, Basantilal Nalvaya
PublisherJain Sahitya Prakashan Mandir
Publication Year1951
Total Pages775
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size44 MB
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