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________________ * जैन-गौरव-स्मृतियाँ स र ANNNNNNNNMaterin atantantrikNews र्पण किया। इसमें १०-१२ वार आपके निवास स्थान की तलाशियाँ ली गई। सन् ४२ में विजयसिंह जी सुरक्षा बन्दी बनाये गये । सन् ४५ तक शाही कैदी..रहे । आज भी कलकत्ता के राजनैतिक-जीवन के आप प्राण हैं । श्रीभंवरमल जी सिंघी सन् ४२ में अपनी अगस्त क्रान्ति संबंधी गति-विधियों के कारण नवम्बर में नजरबन्द कर दिये गये । सन् ४५ में विमारी के कारण रिहा हुए तो ऐसे कि बंगाल में घुस न सकें। __ श्री सिद्धराज जी ढड्डा ने भी सन् ४२ के आन्दोलन में नजरवन्दी भोगी और तब से सतत कांग्रेस को सम्र्पित जीवन बिताते हुए राजस्थान के उद्योनमंत्री पद को प्राप्त किया। सुजानगढ़ के कलकत्ता प्रवासी वैरिस्टर डालमचन्द जी सेठिया ने सन् ४२ के प्रचण्ड विद्रोही डा. राममनोहर लोहिया को छ महीने तक अपने घर में छिपाये रखने का सफल: साहस किया । श्री जयप्रकाश नारायण और अन्य क्रांतिकारियों को भी इसी प्रकार अपने यहाँ रखने के साहस पूर्ण कार्य के कारण सेठिया जी को खुद ५४ दिन की जेल-यात्रा भी करनी पड़ी थी। वालासोर-प्रवासी लक्ष्मणगढ़ के जैन-गौरव श्री. ज्वालाप्रसाद सरावगी भी सन् ४२ की अगस्त क्रान्ति में जेल गये। .. भागलपुर के श्री अगरचन्द्र जी जैन भी सन् ३०-३२ और ४२ के दोनों अान्दोलनों में देश की आजादी की कामना से जेल-यात्रा का पुण्य लाभ करते रहे। आगरा के भारत विख्यात जैन-गौरव सेठ अचलसिंह जी की ३२ साल की देशभक्ति व कांग्रेस निष्ठा को कौन नहीं जानता ? सन् ४२ में आपको भी दो वर्षों के लिए नजरबन्द रहना पड़ा था। वर्धा प्रवासी और फुलेरा के पास के उग्रावास के निवासी के श्री. चिरंजी लाल जी जैन सन् २१ से लगातार राष्ट्रीय आन्दोलनों में काम . Kakkakakakaka( ३८८ )KKKKokkkkka
SR No.010499
Book TitleJain Gaurav Smrutiya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorManmal Jain, Basantilal Nalvaya
PublisherJain Sahitya Prakashan Mandir
Publication Year1951
Total Pages775
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size44 MB
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