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________________ * जैन-गौरव-स्मृतियां शान्ति स्वप्न के समान समझी जा रही है वह इन सिद्धान्तों के अनुसरण से प्रत्यक्ष हो सकती है। आज के राष्ट्र भौतिक संहारक साधनों के पीछे जितनी शक्ति लगा रहे हैं, उसके पीछे जैसे जी-जान से जुट रहे हैं इसी तरह यदि अहिंसा और अपरिग्रह के पीछे अपनी शक्ति का प्रयोग करें, उसके लिए जी-जान से जुट पड़े तो विश्व-शान्ति असम्भव नहीं है। हाँ, अभी जिन साधनों से शान्ति की आशा की जा रही है उनसे उसकी प्राप्ति सर्वथा असम्भव है। हजारों युद्ध लड़े जा चुके हैं तो भी शान्ति की झाँकी भी नहीं मिली। यह होते हुए भी दुनिया ने अभी यह नहीं समझा कि युद्ध से वरवादी होती है और मानव की उन्नति रुक जाती है । इसका कारण यही है कि बहुत विरले व्यक्ति ही अपने पूर्व अनुभवों से लाभ उठाते हैं। प्रायः लोग अपनी त्रुटियों को दुहराते रहते हैं। यही कारण है कि विनाश की परम्परा को चालू रखनेवाले युद्ध अब भी होते. रहते हैं । यह तो निश्चित हैं कि यदि यह परम्परा अधिक समय तक इसी रूप में चालू रही तो मानव-जाति का सर्वनाश हो जायगा। यदि इस सर्वनाश से मानव-जाति को अपनी रक्षा करना है तो उसे जैन-धर्म के शांति के स्रोत रूप सिद्धान्तों को अपनाना होगा। इसके सिद्धान्तों को अपनाने में ही सच्ची विश्व-शान्ति रही हुई है। . जैन परम्परा के अनुसार जीवन का परम और चरम साध्य मोक्षं है। इस विषय में समस्त आस्तिक दर्शनों का एक ही मत है । गम्भीर चिन्ता, - सूक्ष्म मनन और दीर्घकालीन अनुभव के पश्चात् विशिष्ट जीवन-ध्येय. ज्ञानियों ने इस जीवन-ध्येय का निर्धारण किया है। उन्होंने ... यह परिपूर्ण परीक्षण के पश्चात अनुभव किया कि यह दृश्यमान वाह्य संसार ही सब कुछ नहीं है, इसके अतिरिक्त एक महान अन्तर्जगत् का अस्तित्व है । यह बाह्य जगत तो उस अन्तर्जगन् की छत्रछाया है। इस अनुभव पर पहुंचने पर उन्होंने इस जीवन-ध्येय का निरूपण किया है । . इस विपय में कोई सन्देह नहीं कि प्राणी मात्र सुख का अभिलापी है। सुख प्राप्त करने के लिए प्रत्येक प्राणी में सहज अभिरुचि और प्रवृत्ति देखी जाती है। सुख-प्राप्ति का ध्येय एक होने पर भी सव प्राणियों की सुख संबंधी
SR No.010499
Book TitleJain Gaurav Smrutiya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorManmal Jain, Basantilal Nalvaya
PublisherJain Sahitya Prakashan Mandir
Publication Year1951
Total Pages775
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size44 MB
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