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________________ अध्ययन ५ उ. १ गा. १५ - गोचर्यं कायचेष्टाप्रकारः ३९७ 'भासमाणो' पदेनैकस्मिन् समये कार्यद्वयं सोपयोगं निष्पत्तुं न संभवतीति, 'हसंतो' इत्यनेन गाम्भीर्यम्, 'उच्चावचं ० ' इत्यादिना प्रतिबन्धराहित्यं समतासाहित्यं च द्योतितम् ॥१४॥ २ 3 ४ ५ ७ मूलम् - आलोअं थिग्गलं दारं, संधिं दगभवणाणि य । ૯ ૧. ૧ चरंतो न विणिज्झाए, संकट्ठाणं विवज्जए ॥१५॥ छाया - आलोकं थिग्गलं द्वारं, सन्धि दकभवनानि च । चरन् न विनिर्ध्यायेत्, शङ्कास्थानं विवर्जयेत् ॥ १५॥ सान्वयार्थ :- चरंतो- भिक्षा के लिए घूमता हुआ साधु आलोयं = जाली-झरोखेकी तरफ थिग्गलं= ईंट आदि से भरे हुए भींतके छिद्रकी तरफ दारं- दरवाजेकी तरफ संधि-भींतकी सांधकी तरफ अथवा चोरोंद्वारा किये हुए भींतके छेदकी तरफ य-तथा द्गभवणाणि पलेण्डा आदिकी तरफ न विणिज्झाए =टक-टकी लगाकर नहीं देखे, (क्योंकि ये सब ) संकट्ठाणं - शङ्काके स्थान हैं, (इसलिए इन्हें ) विवज्जए = विशेषरूप से त्यागे । भावार्थ = ऐसे स्थानोंको देखनेसे गृहस्थको साधुके प्रति चोर लम्पट आदिका सन्देह उत्पन्न हो जाता है, तथा एषणाकी यथोचित शुद्धि भी नहीं होती ॥ १५ ॥ टीका- 'आलोअं०' इत्यादि । चरन् -भिक्षितुं गच्छन् मुनिः आलोकं = त्रातायनजालिकाप्रभृति, थिग्गलं = देशीयभाषया प्रसिद्धं भित्त्यामिष्टकादिरचितम्, " भासमा' पद से यह प्रगट किया है कि एक ही साथ दो कार्य उपयोगपूर्वक नहीं हो सकते। ' हसंतो ' पदसे गंभीरता द्योतित की है और ' उच्चावयं०' इत्यादि पदसे प्रतिबंध (नेसराय) - रहितता और समतासे सहितता प्रगट की है || १४ || 'आलोयं ० ' इत्यादि । भिक्षा लेनेके निमित्त गमन करता हुआ मुनि झरोखा, जाली, भीत, दरवाजा, सेंध (चोरों द्वारा दीवार में किया માસમાળો શબ્દથી એમ પ્રકટ કર્યુ છે કે એકીસાથે એ કાર્યાં ઉપયેગપૂર્ણાંક થઈ શકતાં નથી દસંતો શબ્દથી ગંભીરતા પ્રકટ કરી છે અને કાવય ઇત્યાદિ શબ્દોથી પ્રતિખ ધ ( નેસરાય રહિતતા અને સમતાથી સહિતતા પ્રકટ डुरी छे (१४) आलोयं इत्यादि लिक्षाने भाटे गमन उरतो भुनि अइयो, भजी, लत, દરવાજો, ચારે પાડેલું ખાંડુ (ખાતરીયાથી પાડેલું ખાંકેરૂ) અને ઉકભવન અર્થાત
SR No.010497
Book TitleAgam 29 Mool 02 Dasvaikalik Sutra Part 01 Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year
Total Pages623
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_dashvaikalik
File Size28 MB
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