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________________ अध्ययन ४ गा. १५- बन्धस्वरूपम् ३२३ पमा, कस्यचिच्चान्तर्मुहूर्त्त परिच्छिन्ना, एवं विभिन्नकर्मणां नियतकालावस्थानं स्थितिबन्धः (२) । यथा कस्यचिन्मोदकस्यानुभागो (रसो) ऽतिमधुरः स्वल्पमधुरो वा, कस्यचि - दतिकटुकः स्वल्पकटुको वा, कस्यचिच्च नातिमधुरो नाप्यतिकटुको भवति, द्विगुणीकरणादिना च स एव मन्द मन्दतरत्वादिव्यपदेशं च लभते, तथा कर्मणामपि 'शुभाशुभादिरूपेण तीव्र - तीव्रतर - तीव्रतम - मन्द मन्दतर- मन्दतमत्वादिभेदभिन्नो वन्धोऽनुभागवन्धो रसबन्धव्यपदेश्यः (३) । १ शुभकर्मणामनुभागो (रसो) द्राक्षेक्षुक्षीरमाक्षीकवदतिमधुरो भवति, यदनुभकिसीकी सत्तर कोड़ाकोड़ी सागरोपमकी होती है, किसी कर्मकी अन्तमुह मात्रकी होती है, इस प्रकार विभिन्न कर्मोंका अमुक समय तक आत्मा के साथ स्थित रहना स्थितिबन्ध कहलाता है । (३) जैसे किसी मोदकका स्वाद (रस) बहुत मीठा होता है, किसी मोदकका कम मीठा होता है, किसीका स्वाद बहुत कडुआ होता है, किसीका कम कडुआ होता है, किसीका स्वाद न अधिक मीठा होता है, न अधिक कडुआ होता है, उसे ही द्विगुण आदि करदेने से वही मन्द मन्दतर आदि कहलाने लगता है। वैसे ही कर्मोंका रस शुभ अशुभ रूप से तीव्र, तीव्रतर, तीव्रतम, मन्द, मन्दतर और मन्दतम आदि भेदों से विविध प्रकारका होता है । उसे ही अनुभागबन्ध या रसबन्ध कहते हैं । १ शुभकमका अनुभाग (रस) दाख, सांठा (गन्ना), दूध या मधुके समान હાય છે, કાઇ કની સ્થિતિ માત્ર અંતર્મુહૂર્તીની હાય છે, એ પ્રકારે વિભિન્ન કર્મીનું અમુક સમય સુધી આત્માની સાથે સ્થિત રહેવું એ સ્થિતિખ ધ કહેવાય છે, (3) प्रेम मोहना स्वाह ( रस ) महु भीठो होय छे । मोहन આછા મીઠા હાય છે, કોઇ મેાદકના સ્વાદ બહુ કડવા હાય છે, કોઈના આછે કડવા હાય છે, કોઈના સ્વાદ ન વધુ મીંઠે કે વધુ કડવા હાય છે, તેને દ્વિગુણુ ( બેવડા) કરવાથી તે મદ-સદંતર આદિ કહેવાવા લાગે છે, એજ રીતે કાના रस शुभ? मशुल ३५थी तीव्र, तीव्रतर, तीव्रतम, भंह, महतर, भहतभ माहि ભેદેએ કરીને વિવિધ પ્રકારના થાય છે એને ४ अहे छे. અનુભાગમ ધ યા રસમય १ शुभ भेना अनुभाग (रस) द्राक्ष, शेरडी, दूध या મધના જેવા અતિમધુર હોય છે.
SR No.010497
Book TitleAgam 29 Mool 02 Dasvaikalik Sutra Part 01 Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year
Total Pages623
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_dashvaikalik
File Size28 MB
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