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________________ ४८६ राजपूताना-मालवा। -सिलसिला पूर्व से पश्चिमको गया है, इसके दक्षिण छोरके नीचे ६ मीलकी दृढ़ दीवारसे "घिरा हुआ जोधपुर शहर है, शहरमें ७ फाटक हैं। राठौरवंशी महाराजा 'जोधरावने' सन् १४५९ ई० में जोधपुर शहरको बसाया था। : यहां के राजा अपने को सूर्यवंशी रामचन्द्र के वंशधर कहते हैं । जोधपुरके पहिले मारवाड़की राजधानी 'भांडोर' थी। देखने योग्य स्थान ये है: शहरके कई उत्तममकान, महामन्दिर, संगमरमरका मोतीमहल, एक पुराने महल में दर्वारसिंहका स्कूल, जेलखाना, किला, किलेके भीतर राजमहल, कचहरी, रायका, - बाग, जोधपुरके पद्मसागर, रानीसागर, गुलावसागर, बाईजीका तालाव, सरदार सागर, अखेराजीका तालाब, और शहरसे ३ मील की दूरीपर एक सुन्दर तालाब है.' .इसकी बांधपरका राजमहल, और वाग, देखने योग्य हैं। जोधपुर राज्यको मारवाड़ कहते हैं, वर्षा यहां बहुत कम होती है, यहांके निवासी - मारवाड़ी व्यापार करने में प्रसिद्ध हैं, जो भारतवर्षके सब विभागोंमें पाये जाते हैं, इनकी पगड़ी अजब तरह की होती है, स्त्रियोंका पहनाव भी विचित्र है। यहां इन चीजों का अधिक व्यापार होता है, पगड़ी, रेशमी सूत, चमड़ेके बक्स, : पीतल के बर्तन, नमक, मवेसी, घोड़ा, कपास, ऊन, रंगा हुआ कपड़ा, चमड़ा, अनार, हाथीदातका सामान, यहांसे अन्य देशों में भेजे जाते हैं। मकरानासे मार्बुलपत्थर और मार्बुलकी दस्तकारियों और बहुतेरी खानोंके पत्थर - भी अन्य देशोंको भेजे जाते हैं। ___ जोधपुरके आस पासमें कई नमककी खाने हैं, 'सांभर' नामक नमककी सुप्रसिद्ध झील जोधपुर राज्यकी सीमा पर है, नमकका वड़ा भारी व्यापार होता है। • यहां दि० जैनियोंका एक भी गृह नहीं हैं, श्वेताम्बरियोंके कई गृह हैं, जिनकी --अनुष्यसंख्या ५०४० है। शहरकी कुल मनुष्यसंख्या ६१८४९ (स्त्रीपुरुष सहित ) है, मनुष्य संख्याके अनु•सार यह शहर भारतवर्ष में ५८ वां और राजपूतानेमें तीसरे नम्बरका शहर है। झालरापाटन शहर। झालावाड़ स्टेटकी राजधानी स्टेशनसे करीब २२ मील तथा मोडकसे १८ मील पपरत है, शहरसे४ मीलके फासलेपर उत्तरकी तरफ झालरापाटन छावनी नामसे प्रसिद्ध है।
SR No.010495
Book TitleBharatvarshiya Jain Digambar Directory
Original Sutra AuthorN/A
AuthorThakurdas Bhagavandas Johari
PublisherThakurdas Bhagavandas Johari
Publication Year1914
Total Pages446
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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