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________________ मध्यप्रदेश । ३२५ हुसंगाबाद। 20यह शहर जी. आई. पी. रेलवेपर है। स्टेशनपर वेटिंग रूम (Waiting Room) वना हुआ है, नर्मदा नदीके बायें तटपर वसा हुआ है, और जिलेका सदर मुकाम है । यहांकी मरदुम शुमारी करीव ५००० है, और मध्यप्रदेशमें तीसरे दर्जेका शहरं ठहराया गया है । यहाँपर दिगम्बर जैनियोंके गृह ६७ हैं जिनमें ८ परवारके, ९ पद्मावती पोरवाड,४७ समैया और २ विनैक्याके हैं । मनुष्यसंख्या २९६ है । दिगम्बर आम्नायके शिखरवन्द मन्दिरजी दो और दो चैत्यालय हैं जिनमें धर्मशास्त्र पचास हैं । उक्त आम्नायकी एक धर्मशाला मंदिरके पास है तया ऊपर लिखे सिवाय दूसरे धर्मादा खाते भी हैं। गिर्जेके सामने स्टेशनसे करीव एक मील एक वंगला है और कई धर्मशालायें हैं जिनमेंसे ६ के करीब मन्दिरोंकेसाथ हैं एक धर्मशाला नर्मदा किनारे पर है । और एकजो रामजी वावाकी धर्मशाला कहलाती है स्टेशनके सामनेही है लोग कहते हैं कि इस नगरको १५ वी सदीमें मालवेके राजा सुलतान हुशंगशाह घोरीने बसाया था पश्चात् यह भोपाल और नागपुरके राजाओंके अधिकारमें चला गया । यहांपर गल्ले और रुईका व्यापार अच्छा होता है और पत्थरकी सिलें यहांसे बाहर जाती हैं।
SR No.010495
Book TitleBharatvarshiya Jain Digambar Directory
Original Sutra AuthorN/A
AuthorThakurdas Bhagavandas Johari
PublisherThakurdas Bhagavandas Johari
Publication Year1914
Total Pages446
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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