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________________ ( ३ ) उत्तरः ढ़ाई द्वीप के बाहिर.. (१६) प्रश्न: ज्योतिषी में इन्द्र कितने हैं ? उत्तरः चंद्रमा व सूर्य ये ज्योतिषी देवों में इन्द्र माने जाते हैं. प्रकरण १४ वां. त्रीछा लोक में व्यनर देवों । (१) प्रश्न: त्रीछा लोक का आकार कैसा है ? उत्तरः गोल, चक्की के पाट जैसा. (२) प्रश्न: त्रीछा लोक की लंबाई, चौडाई व उंचाई कितनी है ? उत्तरः उसकी लंबाई व चौडाई एक राज की अर्थात् असंख्याता जाजन की है व उंचाई १८०० जोजन की है. ( ३ ) प्रश्न: अपने नीचे कितने योजन तक त्रीछालोक कहलाता है ? उत्तरः नवसो जोजन तक. ( ४ ) प्रश्नः ये नवसो जोजन में क्या क्या चीज है ? उत्तर: प्रथम यहां से १० योजनं तक मृतिका पिंड माटी का पिंड है इसके बाद ८० योजन का पोला आता है उसमें १० जाति के भंका (बाण व्यंतर की जात के ) देवों रहते हैं. उसके नीचे १० योजन का मृविका
SR No.010488
Book TitleShalopayogi Jain Prashnottara 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDharshi Gulabchand Sanghani
PublisherKamdar Zaverchand Jadhavji Ajmer
Publication Year
Total Pages85
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
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