SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 57
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ 1 ( ४७ ) रायवय में ७६ दिवस तक जुगलिणी अपने बच्चे की प्रतिपालना करती है तत्पश्चात् मरजाती है. ( ३६ ) प्रश्न: इतने छोटे बच्चे के मावाप मर जाते हैं तो उनका क्या हाल होता होगा ? उत्तरः वे बच्चे इतने दिन में अपने मावाप जैसे बड़े जुगलिया होजाते हैं व भाई बहन स्त्री पुरुष होकर रहते हैं और कल्प वृक्ष से मनोवांछित सुख भोगते हैं । (३७) प्रश्न: इनमें भाई बहन स्त्री पुरुष होजाते हैं ऐसा अयोग्य रिवाज कैसे चला ? उत्तरः यह रिवाज जुगलिया में अनादि काल से चला थरहा है, उनका अंतःकरण निर्मळ व पवित्र होता हैं, जुगल पति अपनी स्त्री से व जुगल स्त्री अपना पति से ही संतुष्ट रहती हैं इनमें व्यभिचार, चोरी, जुठ, झगडा, वैरं विरोध कुछ होता नहि है. (३८) प्रश्न: जुगलिया में स्त्री का आयु ज्यादा या पुरुष का ? उत्तर : जुगलिया में स्त्री पुरुष साथ जन्म पाते हैं व साथ ही मर जाते हैं व उनकी सारी जींदगानी में वे एक दुसरे से कभी भी दुर होते नहि है. ( ३६ ) प्रश्न: जुगलिया का आयु कितना होता है ? उत्तर: हेमवय हिरण्यत्रय में एक पल्योपम या
SR No.010487
Book TitleShalopayogi Jain Prashnottara 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDharshi Gulabchand Sanghani
PublisherKamdar Zaverchand Jadhavji Ajmer
Publication Year1914
Total Pages77
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy