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________________ (४४) . .. . (१४) प्रश्नः देवता की सहायता विना कोई वहां जा सका है या नहीं? . . उत्तरः विद्या के बल से कई साधु वहां जासकते हैं. (१५) प्रश्नः ऐसे साधुओं हाल किस क्षेत्र में हैं ? उत्तरः पंच महा विदेह क्षेत्र में. (१६) प्रश्नः पांच महा विदेह में पुर्वोक्त तीन प्रकार के. व्यापार है ? उत्तर: हां. . (१७) प्रश्नः पांच महा विदेह में से जबुद्वीप में कितने हैं? उत्तरः एक. (१८) प्रश्नः वाकी के चार महा विदेह कोन द्वीप में है ? उत्तरः दो धातकी खंड में व दो अर्ध पुष्कर द्वीप में. (१६) प्रश्नः भरत व महा विदेह के अलावा बाकी के पांच क्षेत्रों का नाम क्या हैं ? उत्तर. इरवृत. . (२०) प्रश्नः पांच इरबन क्षेत्रों कोन २ द्वीप में है ? उत्तरः एक जंबुद्वीप में, दो धातकी खंड में दो अर्थ पुष्कर द्वीप में. (२१) प्रश्नः कर्म भूमि के १५. क्षेत्र के नाम बतलायो ? उत्तरः पांच भरत, पांच इरवृत्त व पांच महाविदेह. (२२) प्रश्नः कर्मभूमि के पंद्रह ही क्षत्रों एक सरीखे हैं .. .. या छोटे बड़े? . . उत्तरः एकही द्वीप में भरत व इस्तृत क्षेत्रों विस्तार - ". में और आकार में एक सरीखे हैं. उसीही · द्वीप में उनसे महा विदेहं क्षेत्र बड़े हैं. जंयु
SR No.010487
Book TitleShalopayogi Jain Prashnottara 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDharshi Gulabchand Sanghani
PublisherKamdar Zaverchand Jadhavji Ajmer
Publication Year1914
Total Pages77
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
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